




ठाणे [ युनिस खान ] वरिष्ठ उत्तर भारतीय नेता बी एन सिंह का लम्बी बीमारी के चलते निधन हो गया है। 76 वर्ष की आयु में उनके निधन से उत्तर भारतीय समाज ने एक जुझारू नेता खो दिया है। उनके निधन से उत्तर भारतीय समाज में शोक की लहर फ़ैल गयी है। बी एन सिंह ने रेमंड मिल से कामगार नेता के रूप काम करते हुए उत्तर भारतीय के नेता के रूप में अपने पहचान बनाया। इसके बाद ठाणे , मुंबई व महाराष्ट्र की उत्तर भारतीय राजनीति में सक्रीय रहे। ठाणे में रहकर उन्होंने जो काम किया उसके चलते उन्होंने ठाणे से अधिक मुंबई व आस पास के शहरों में लोकप्रियता हासिल की। कामगारों की लड़ाई से शुरू संघर्ष से उन्होंने अपना पूरा जीवन संघर्ष में लगा दिया। कभी हार न मानाने वाले योद्धा कोरोना की जंग जीतने के बाद अंततः जीवन की जंग हार गए । वे उत्तर भारतीय संघ से जुड़े रहे उन्होंने उत्तर भारतीयों के गाँव आने जाने के लिए होने वाली समस्याओं को लेकर संघर्ष करते रहे। मुंबई से उत्तर भारत की ओर जाने आने वाली ट्रेनों के ठाणे में स्टाप का मुद्दा हो या नयी ट्रेन चलाने की मांग को लेकर ठाणे रेलवे स्टेशन पर कई बार हजारों की संख्या में मोर्चा निकाला। उन्होंने उत्तर भारतीय समाज को एक पहचान दी। वे कांग्रेस से जुड़े कई बार उन्होंने मनपा का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें नगर सेवक बनाने का अवसर मिलते मिलते रह गया। कारण उत्तर भारतीयों के मुद्दे उठाने से विरोधियों की आँखों की किरकिरी तो बना जा सकता है लेकिन अपनो का साथ नहीं मिलने से सफलता मिलना मुश्किल हो जाता है। यही कुछ उनके साथ हुआ होगा। आज वे नहीं रहे उनकी यादें रह गयी हैं। धीरे धीरे लोग यादें भी भुला देंगे। हमारे समाज के नेताओं के संघर्ष आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा बने इसके लिए लोगों को आगे आना होगा तभी हमारे बुजुर्गों की यादें उनके इतिहास बने रहेंगे। इस लिए समाज के हर वर्ग को अपने स्तर पर विचार मंथन करने की आवश्यकता है। बी एन सिंह के निधन पर कांग्रेस शहर जिला अध्यक्ष एड विक्रांत चव्हाण , प्रदेश कांग्रेस महासचिव मनोज शिंदे , प्रदेश महासचिव सुमन अग्रवाल , पूर्व नगर सेवक संजय घाडीगावकर इंटक कांग्रेस के जिला अध्यक्ष सचिन शिंदे ,पूर्व नगर सेवक जंजाली जैसवार , राकांपा नेता प्रभाकर सिंह , समाज सेवी धनंजय सिंह ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए श्राधांजलि अर्पित की है। शिंदे ने बताया है कि 2 जून की दोपहर 12 बजे उनके खोपट स्थित निवास से अंतिम यात्रा निकालकर वागले इस्टेट स्मशान भूमि में उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा। लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग व शासन के नियमों का पालन करते हुए दिवंगत नेता को अंतिम विदाई के लिए आने का आवाहन किया गया है।