कल्याण:, अवैध निर्माण के चलते विवादों में फंसी मोहन ग्रुप की कल्याण पश्चिम स्थित हेलीपैड वाली बिल्डिंग के नाम से मशहूर (अब बदनाम) ‘मोहन अल्टिज़ा’ के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में रिट पिटीशन दाखिल हो गई है जिसके चलते उक्त इमारत पर और मोहन ग्रुप के भागीदारों पर कार्रवाई की तलवार लटकने लगी है, महत्वपूर्ण बात यह है कि यह रिट पिटीशन मे. लाइफ स्पेसेस एलएलपी (मोहन ग्रुप) के चेयरमैन जितेन्द्र लालचंदानी के सगे भाई महेश लालचंदानी ने दाखिल की है। चूँकि महेश लालचंदानी भी बिल्डर हैं जिससे उन्हें निर्माण क्षेत्र की बारीक से बारीक बात पता है कि जितेन्द्र लालचंदानी ने ‘मोहन अल्टिज़ा’ के निर्माण में क्या-क्या वायलेशन्स किए हैं। इसीलिए जितेन्द्र लालचंदानी और कल्याण डोम्बिवली महानगरपालिका (केडीएमसी) के अधिकारी भी मुसीबत में पड़ सकते हैं।
25 जून 2021 को महेश लालचंदानी ने ये रिट पिटीशन (नंबर-2165/2021) दाखिल की है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायाधीश राजेश लोढ़ा की खंडपीठ के सामने पिटीशन की सुनवाई होगी। महत्वपूर्ण बात यह है कि खंडपीठ ने पिटीशन स्वीकार कर ली है और चार हफ्ते बाद अगली सुनवाई रखी है। जितेन्द्र लालचंदानी को दो सप्ताह में अपना रिप्लाय और एफिडेविट फाइल करना है। महेश लालचंदानी ने मांग की है कि ‘मोहन अल्टिज़ा’ में जो अवैध निर्माण हुआ है केडीएमसी उसे तोड़े और साथ ही जितेन्द्र लालचंदानी और भागीदारों पर कानूनी कार्रवाई भी करे।।
मोहन ग्रुप की हेलीपैड वाली बिल्डिंग ‘मोहन अल्टिज़ा’ पूरी तरह अवैध हैं ऐसी ऐसी शिकायत सभी दस्तावेजी सबूतों के साथ ‘मोहन ग्रुप’ के पारिवारिक सदस्य ने ही की थी जिसकी कई प्रमुख अखबारों ने खबर प्रकाशित की थी। महेश लालचंदानी ने 26 अगस्त 2020 को शिकायत कर सम्बंधित विभागों से दस्तावेज इकठ्ठा किए थे। मिले दस्तावेजों के अनुसार ‘मोहन अल्टिज़ा’ पूरी तरह अवैध है। केडीएमसी अधिकारियों की मिलीभगत से जितेन्द्र लालचंदानी ने फ्लैट धारकों के साथ बड़ी धोखाधड़ी की हैं, अनुमान है कि जितेंद्र लालचंदानी ने पूरे प्रोजेक्ट को खड़ा करने में केडीएमसी के अधिकारियों और कर्मचारियों को करोड़ों रुपये रिश्वत दी है।
कल्याण (पश्चिम) में गन्धारे गांव में 11 लाख वर्ग फुट में विकसित ‘मोहन अल्टिज़ा’ नामक गृह संकुल में मोहन ग्रुप के चेयरमेन जितेन्द्र लालचंदानी ने ढाई लाख वर्ग फुट अवैध निर्माण कर लिया है। जितेन्द्र लालचंदानी ने इमारत निर्माण में किसी भी रूल्स-रेगुलेशन्स का पालन नहीं किया है जैसे नंबर 1- सर्वे नंबर 15/5 और 23/1 भूखंड पर तो प्लान ही पास नहीं करवाया हैं नंबर 2- प्लान में पास प्रत्येक मंजिल पर रिफ्यूजी एरिया, सर्वेंट रूम, सर्वेंट ट्वायलेट नहीं बनाया है नंबर 3- कॉमन पैसेज एरिया को भी फ्लैट्स में कवर कर लिया हैं नंबर 4- फ्लैट्स मालिक को प्रति फ्लैट के पीछे 40 वर्ग फुट एरिया ज़्यादा बेच दिया हैं नंबर 5- नियमतः पांच प्रतिशत फ्लैट्स सरकार को हैंडओवर नहीं किया हैं और नंबर 6- कुछ भूभाग केडीएमसी को भी नहीं दिया हैं नंबर 7- रिवाइज्ड बिल्डिंग परमीशन (सुधारित निर्माण) भी केडीएमसी ने रिजेक्ट कर दिया है। बाजार भाव के हिसाब से जितेन्द्र लालचंदानी ने अवैध निर्माण से 200 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई की है। अनुमान के अनुसार पूरा प्रोजेक्ट 1000 करोड़ रुपये का है।
रिट पिटीशन, महेश लालचंदानी की शिकायत और मौजूद दस्तावेजों के अनुसार जिस भूखंड (सर्वे नंबर- 15/5, 17, 62/1/2, 18, 23, 9 और 4) पर ‘मोहन अल्टिज़ा’ विकसित हुई है उसकी मूल मालकिन मालूबाई काशीनाथ मढ़वी हैं। मोहन ग्रुप के इस प्रोजेक्ट में 28-28 मंजिल की तीन इमारतें हैं। इसमें कुल 350 फ्लैट्स हैं। इसके भागीदार अमित गाँधी, राजेश किशिनसिंघानी, कुमा विधानी, लखी श्रृंगी, ओमप्रकाश मचनद्या, धीरज भाटिया, जीतू लालचंदानी, हरि भाटिया, मनोहर मचनद्या, सुनील हरचंदानी और तुषार लालचंदानी हैं और इसके आर्किटेक्ट जॉन वर्गीस हैं। महेश लालचंदानी ने सभी के खिलाफ धोखाधड़ी, एमआरटीपी एक्ट तथा भादंसं की अन्य धाराओं के तहत कार्रवाई करने की मांग की है।
आश्चर्य पूर्ण जानकारी यह सामने आई है कि जितेन्द्र लालचंदानी ने मोहन ग्रुप के नाम से जितने भी प्रोजेक्ट विकसित किए हैं वह सब अवैध हैं, प्रशासन को अपनी जेब में रखने डिंग हांकने वाले मोहन ग्रुप के भागीदारों के हौसले बढ़े हुए हैं कि प्रशासन में बैठे कुछ भ्रष्ट्र अधिकारियों की मिलीभगत से एक के बाद एक अवैध इमारतों का निर्माण करते जा रहे हैं और अवैध निर्माण को पूरी तरह वैध निर्माण बता कर ग्राहकों को फंसाते जा रहे है।