मुंबई [ युनिस खान ] केंद्र और राज्य के झगडे में बिनाकरण कुछ नेताओं को परेशान किया जा रहा है उसमें मैं भी शामिल हूँ . मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे अपने पत्र में शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक ने इस आशय की बात कहा है . उन्होंने कहा है कि राज्य में भाजपा से हमारा गठबंधन टूटा है लेकिन नेताओं के संबंध आज भी है . भाजपा के साथ जाने से शिवसेना नेताओं की समस्या समाप्त हो सकती है .विधायक सरनाईक के लेटरबम से एक अलग राजनीतिक बहस शुरू हो गयी है . विधायक सरनाईक और उनके पुत्र के खिलाफ केन्द्रीय एजेंसी की जांच शुरू होने के बाद कछ दिनों से उनके दिखाई न देने का आरोप लगाते हुए किसी ने उनके निर्वाचन क्षेत्र में उनकी गुमशुदगी के बैनर लगा दिए . शनिवार को भजपा नेता किरीट सोमैया के नेतृत्व भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं ने वर्तक नगर पुलिस ने जाकर विधायक सरनाईक को खोजने की मांग किया .इसके बाद विधायक सरनाईक मुख्यमंत्री ठाकरे को दी दो पन्नों की चिट्ठी के साथ मिडिया के सामने आये . उन्होंने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि केंद्र और राज्य के संघर्ष में मुझे परेशान किया जा रहा है और एक पूर्व सांसद के द्वारा मुझे बदनाम करने की कोशिस की जा रही है. इससे मेरे परिवार को आघात लगा है . भाजपा शिवसेना का गठबंधन टूटने के बावजूद नेताओं के संबंध है .अगले वर्ष के शुरू में मुंबई व ठाणे , समेत कई महानगर पालिकाओं के चुनाव होने वाले है . भाजपा शिवसेना का गठबंधन हुआ तो उसका लाभ मेरे जैसे कई लोगों और शिवसेना को हो सकता है .उन्होंने सवाल किया है कि कांग्रेस व राकांपा को बड़ा बनाने के लिए गठबंधन किया है क्या एक ओर कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ने की बात कर रही है तो दूसरी ओर राकांपा शिवसेना के लोगों को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल करने का काम कर रही है . विधायक सरनाईक ने कहा है कि कांग्रेस राकांपा के नेताओं की केन्द्रीय एजेंसी जांच नहीं करने से लगता है की उनकी केंद्र से छुपी युति है . वे शायद यह भूल गए की राकांपा नेता अनिल देशमुख के 100 करोड़ वसूली मामले में तीन केन्द्रीय एजेंसियां जांच में लगी है . सरनाईक ने अपने पत्र भले ही व्यतिगत मत व्यक्त किया है लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में नयी चर्चा शुरू हो गयी है .शायद उन्होंने एक तीर से कई निशाना साधने की कोशिस की है . इस मुद्दे पर कांग्रेस और राकांपा ने शिवसेना का अंदरूनी मामला बताकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है . इस मुद्दे पर शिवसेना नेता भले ही सीढ़ी प्रतिक्रिया नहीं दिया लेकिन उन्होंने कहा कि चिट्ठी में एक बात बहुत महत्वपूर्ण कही गयी है कि उन्हें परेशान किया जा रहा है तो कौन परेशान कर रहा है .शायद उनका इशारा केंद्र सरकार के द्वारा विरोधी दलों के नेताओं की जांच करने और पार्टी में आने के बाद बचाव करने की ओर है .