मुंबई [ अमन न्यूज नेटवर्क ] परम पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी विनय स्वरूपानंद सरस्वती महाराज द्वारा कानपुर स्थित बिठूर में स्थापित श्री रामानुग्रह धाम का स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया। स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया। कथा व्यास परम पूज्य स्वामी उदितानंद ब्रह्मचारी महाराज ने मानव जीवन के सूत्र बताते हुए कहा कि पानी को कितना भी गर्म कर लें पर वह थोड़ी देर बाद अपने मूल स्वभाव में आकर शीतल हो जायेगा।
इसी प्रकार हम कितने भी क्रोध में, भय में अशांति में रह लें थोड़ी देर बाद बोध में, निर्भयता में और प्रसन्नता में हमें आना होगा क्योंकि यही हमारा मूल स्वभाव है। इतना ऊर्जा सम्पन्न जीवन परमात्मा ने हमें दिया है । स्वयं का तो क्या लाखों लाखों लोगों का कल्याण करने के निमित्त भी हम बन सकते है। जरूरत है स्वयं की शक्ति और स्वभाव समझने की। सबसे बड़ी अगर जीवन पथ में अगर कोई बाधा है तो वह है निराशा। हम थोड़ी देर में ही परिस्थिति के आगे घुटने टेककर उसे अपने ऊपर हावी कर लेते हैं। किसी संग दोष के कारण, किन्ही बातों के प्रभाव में आकर निराश हो जाना, यह संयोग जन्य स्थिति है। आनंद , प्रसन्नता, उत्साह, उल्लास और सात्विकता मूल स्वभाव तो हमारा यही ही है। आज शरद पूर्णिमा के पुनीत पर्व पर विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उपस्थित साधु संतों एवं वरिष्ठ समाजसेवी सम्मानित किया गया।