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समाजवादी नेता व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव नहीं रहे

जीवन में कभी हार न मानने वाला नेता अन्तः मौत से हार गया

लखनऊ [ अमन न्यूज नेटवर्क ] समाजवादी नेता व सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का आज 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया है .उनके निधन पर तीन दिन के शोक की घोषणा की गयी है .देश में जब भी सबसे बड़े राजनीतिक परिवार की बात आयेगी  तो पहला नाम  नेताजी के परिवार का लिया जायेगा . मुलायम परिवार का शायद ही ऐसा कोई सदस्य हो, जो राजनीतिक पदों पर न रहा हो. ग्राम प्रधान, जिला पंचायत सदस्य-अध्यक्ष से लेकर सांसद-विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री तक के पदों पर लोग आसीन हो चुके हैं .

आज सोमवार 10 अक्टोबर 2022 की सुबह 8 बजकर 16 मिनट पर गुरुग्राम की मेदांता अस्पताल में नेताजी का निधन हो गया है वे 84 वर्ष के थे .4 मार्च 1984 में उनके वाहन पर हमला हुआ उनके गाडी में बैठने वाले स्थान पर 9 गोलियां लगी थी .हमलावरों और पुलिस के बीच करीब आधा घंटे चली गोलीबारी में नेताजी ने अपनी चालाकी से मौत को मात दी थी .उन्होंने अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी .

         22 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश के इटावा में जन्में मुलायम सिंह यादव लोहिया आंदोलन में बढ़चढ़कर हिस्सा लिए और उसके बाद वे राजनीती की उचाईयों की और बढ़ते रहे .  उन्होंने 4 अक्टूबर 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की। मुलायम सिंह ने मालती देवी से पहली शादी की थी। अखिलेश यादव मुलायम और मालती देवी के बेटे हैं। मुलायम की दूसरी शादी साधना गुप्ता से हुई। साधना और मुलायम के बेटे प्रतीक यादव हैं। अखिलेश यादव ने 24 नवंबर 1999 डिंपल यादव से शादी की, जबकि प्रतीक की शादी अपर्णा यादव से हुई है। अखिलेश मौजूदा समय समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। डिंपल भी सांसद रह चुकी हैं। प्रतीक यादव राजनीति से दूर रहकर जिम संचालित करते हैं। उनकी पत्नी अपर्णा यादव ने 2017 में सपा के टिकट पर लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ी थीं। बीते विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया।
जब देश में जनता लहर के बाद उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री बनने समय आया तो चौधरी देवीलाल के सहयोग से मुलायम सिंह यादव को 1989 में मुख्यमंत्री बनाने का अवसर मिला . 1990 में बाबरी मस्जिद व राम जन्मभूमि आन्दोलन से निपटने की उनके सामने गंभीर समस्या थे . कारसेवकों पर गोली चलाने के आदेश के बाद उनका भारी विरोध हुआ .इसके बाद उन्होंने अपने गुरु डा राम मनोहर लोहिया के सपनों को पूरा करने का निर्णय लिया . बतादें 1956 में डा राम मनोहर लोहिया और डा बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर समझौते के तहत एक साथ आने की प्लानिंग कर रहे थे। इसी बीच डा बाबासाहेब अंबेडकर का निधन हो गया . जिससे  डा लोहिया की दलित-पिछड़ा गठजोड़ की प्लानिंग अधर में पद गयी . 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद मुलायम ने लोहिया की योजना को सफल बनाने के लिए प्रयास किया . इसके लिए बसपा प्रमुख कांशीराम के साथ समाजवादी पार्टी का गठबंधन कर भाजपा को हराकर उत्तर प्रदेश की राजनीती में अपना दबदबा कायम कर लिया .

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