मुंबई [ अमन न्यूज नेटवर्क ] हाल के वर्षों में भारत सरकार दुर्लभ बीमारियों पर अधिक ध्यान दे रही है, जिसके कारण रोगियों के उपचार के लिए बजटीय सहायता तीन साल पहले शून्य से बढ़कर अब 82 करोड़ रुपये हो गई है। यह बात स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoH&FW) के DGHS के एडिशनल DDG डॉ. एल स्वस्तिचरण ने SMA जागरूकता माह के दौरान गुरुग्राम में स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी (SMA) पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन SMArtCon2024 में बोलते हुए कही।
डॉ. एल स्वस्तिचरण ने घोषणा की कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय एसएमए, एक दुर्लभ और आनुवंशिक रूप से उत्पन्न न्यूरोमस्कुलर बीमारी, पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक विशेष तकनीकी विशेषज्ञ समूह स्थापित करने पर सक्रिय रूप से विचार कर रहा है। “टेक एमएसए नामक यह समूह देशभर में दुर्लभ बीमारियों पर केंद्रित केंद्रों को एसएमए के संबंध में क्या किया जाना चाहिए, पर सलाह देगा और तकनीकी सुझाव प्रदान करेगा। यदि हम एसएमए की चुनौती का सफलतापूर्वक समाधान कर लेते हैं, तो इसी मॉडल को देश की अन्य दुर्लभ बीमारियों के लिए दोहराया जा सकता है,” उन्होंने जोड़ा।
एसएम स्मार्टकॉन 2024 का आयोजन क्योर एसएमए फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने किया है, ताकि एसएमए और अन्य दुर्लभ बीमारियों के लिए एक सतत पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया जा सके। इसमें भारत के विभिन्न हिस्सों से 80 से अधिक प्रमुख डॉक्टरों के साथ-साथ चिकित्सा छात्र, शोधकर्ता, थेरेपिस्ट और कई एसएमए मरीजों और उनके परिवारों ने भाग लिया, जो जम्मू, कोयंबटूर, वाराणसी, पंजाब, ओडिशा, जयपुर और दिल्ली एनसीआर जैसे स्थानों से आए थे।