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ख़ुशी दुबे को जल्द रिहा नहीं किया तो उ प्र विधानसभा का घेराव किया जाएगा – पारसनाथ तिवारी 

लखनऊ ,  महाराष्ट्र राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता पारसनाथ तिवारी ने कहा है कि उ प्र पुलिस द्वारा कानपूर की ख़ुशी दुबे को अकारण परेशान किया जा रहा है। अगर जल्द ही उसके साथ न्याय नहीं किया गया तो समूचे उत्तर प्रदेश में पदयात्रा आयोजित की जाएगी और उ प्र विधानसभा का घेराव किया जाएगा।
         आज एक बयान में राकांपा नेता पारसनाथ तिवारी ने कहाकि ख़ुशी दुबे के मामले में उ प्र सरकार और उ प्र पुलिस संवेदनहीनता की सारी सीमायें पार  कर रही है, जिसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। देश और प्रदेश के तमाम जिम्मेदार लोग ख़ुशी को रिहा करने की मांग कर रहे हैं । लेकिन उत्तरप्रदेश सरकार  के कान  पर जूं  नहीं रेंग रही हैं। जबकि ये बेटी अस्पताल में मौत से जंग लड़ रही है। उन्होंने कहाकि प्रदेश सरकार  नागरिकों के सब्र का इम्तहान न  ले। उन्होंने घोषणा की है कि यदि जल्द ही ख़ुशी को रिहा नहीं किया गया, तो पूरे प्रदेश में पदयात्राएं आयोजित की जाएंगी और उत्तरप्रदेश विधान सभा का घेरवा किया जाएगा।
              हिस्ट्रीशीटर अपराधी विकास दुबे  के शॉर्प शूटर रहे अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को जेल से रिहा करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। बीजेपी के एमएलसी उमेश द्विवेदी  ने भी खुशी दुबे की रिहाई की मांग को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  को चिट्ठी लिखी है, पत्र में उन्होंने लिखा कि बिकरू कांड  के दस महीने बीतने के बाद भी आरोप तय नहीं हुआ है लेकिन खुशी दुबे सलाखों के पीछे है ।
               द्विवेदी ने कहा कि बीमार खुशी दुबे मेदांता अस्पताल में जीवन-मरण के बीच संघर्ष कर रही है इसलिए उसे रिहा किया जाए. बाराबंकी जेल में बंद खुशी दुबे की तीन दिन पहले तबीयत अचानक बिगड़ गई थी, उसे सीने में दर्द और कमजोरी की शिकायत के बाद जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था,डॉक्टरों ने  उपचार  से खुशी दुबे की तबीयत में ज्यादा सुधार न होता देख उसे लखनऊ रेफर करने की बात कही थी ।
            कानपुर के बिकरू गांव में पिछले साल 2 जुलाई की आधी रात को घात लगाकर किए गए हमले में  8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई थी, इस वारदात को कुख्यात अपराधी विकास दुबे और उसके गुर्गों ने अंजाम दिया था,इतनी बड़ी घटना होने से देश-प्रदेश में हड़कंप मच गया था । इसके बाद पुलिस और एसटीएफ ने कार्रवाई करते हुए विकास दुबे के कई गुर्गों को मुठभेड़ में एक-एक कर मार गिराया था, इसी क्रम में विकास दुबे के करीबी 23 वर्षीय अमर दुबे को पुलिस ने हमीरपुर में ढेर कर दिया था,विकास दुबे की सरपरस्ती में अमर दुबे की तीन दिन पहले ही खुशी दुबे से शादी हुई थी ।
         बिकरू कांड के 8 दिन बाद 10 जुलाई, 2020 को एसटीएफ ने विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर लाते समय उस वक्त एनकाउंटर में मार गिराया था जब उसने साथ चल रहे पुलिसकर्मी का हथियार छीनकर भागने का प्रयास किया था,देश के बहुचर्चित कानपुर के विकरु कांड  में उ प्र पुलिस  की कार्रवाई तमाम सवालों के घेरे में है ।एक तरफ विकास दुबे के एनकाउंटर  से जुड़े कई तथ्यों पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ मुख्य आरोपी की पत्नी को क्लीनचिट  और सह आरोपी की पत्नी को जेल  की कार्रवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं ।
           इस पूरे घटनाक्रम में कुख्यात बदमाश विकास दुबे की पत्नी ऋचा दुबे  को कानपुर पुलिस ने पूछताछ के बाद क्लीनचिट दे दी,पुलिस ने कहा कि मामले में ऋचा की कोई मिलीभगत प्रथम दृष्टया नहीं मिली,वहीं दूसरी तरफ अमर दुबे की नवविवाहिता पत्नी खुशी  को पुलिस ने गिरफ्तार किया है और जेल भेज दिया है। खुशी की गिरफ्तारी पर सवाल को कोई और नहीं बल्कि अमर दुबे की दादी सर्वेश्वरी दुबे ने उठाए हैं। लेकिन पुलिस महकमा उन्हें जवाब देने को तैयार नहीं है,उम्र के आखिरी पड़ाव में अपने पूरे परिवार को बिखरते देख सर्वेश्वरी दुबे के आंखों से आने वाले आंसू रुक नहीं रहे हैं, वह कहती हैं कि अभी तो शहनाई की गूंज थमी नहीं थी कि पूरा घर तबाह हो गया ।
              अमर दुबे इस पूरे घटनाक्रम में मुख्य भूमिका निभाने वाला था , उसे तो उसके किए की सजा मिल गई,पुलिस ने उसे मुठभेड़ में मार गिराया लेकिन 3 दिन पहले घर आई खुशी का क्या गुनाह था? जो पुलिस ने उसे जेल भेज दिया,उन्होंने पूछा कि अपराधी विकास दुबे की पत्नी ऋचा दुबे पर पुलिस क्यों मेहरबान हो गई?वहीं खुशी के माता -पिता से बात की गई तो वे  रो पड़े और एक ही बात बोले कि शायद अब हमें भी जीने का हक नहीं क्योंकि हमारा गुनाह केवल इतना है कि हमने एक बेटी को जन्म दिया,हमने परिवार में आने वाली लक्ष्मी का नाम खुशी रखा। इस अरमान से नाम खुशी रखा कि यह जीवन भर खुश रहे,यह अपने परिवार को खुशियां ही दें लेकिन आज लगता है कि हम बिन औलाद ही ठीक थे। उन्होंने कहा कि वह इतनी भी हिम्मत नहीं रखते हैं कि अपनी बेटी को देखने जेल तक चले जाएं। उन्हें भय है कि बेगुनाह बेटी को जब पुलिस वालों ने आरोपी बनाकर जेल भेज दिया तो कहीं उन्हें भी जेल न भेज दे,क्योंकि बेटी को जन्म तो हम ही ने दिया था ।

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