मुंबई [ अमन न्यूज नेटवर्क ] शिव की नगरी काशी कला व संस्कृति का प्रमुख केन्द्र रही है रस से रचा-बसा बनारस घराना संगीत के क्षेत्र में अपना विशिष्ट स्थान रखता है पं0 बड़े रामदास जी की शिष्य परंपरा ने संगीत जगत को नायाब हीरे दिये हैं पं0 पशुपति नाथ – अमर नाथ मिश्र, पं0 राजन-साजन मिश्र, पं0 सुरेद्र-मोहन मिश्र, पं0 मोहन मिश्र, पं0 महादेव मिश्र, पं0 जालपा मिश्र, जी जैसे अनेक कलाकार रहे हैं वही सिद्धेश्वरी देवी, जानकी बाई, विदुषी गिरिजा देवी जैसे अनेक गायिकाओं ने कला जगत में बनारस घराने की छाप छोड़ी है।
पं0 राम सहाय जी ने जिस विशिष्ट तबला वादन शैली को जन्म दिया उसे पं0 शारदा सहाय, पं0 किशन महाराज, पं0 अनोखे लाल जी, पं0 कण्ठे महाराज, पं0 सामता प्रसाद (गुदई महाराज) जी ने विश्व पटल पर स्थापित किया। आज भी इस परंपरा से जुड़े अनेक कलाकार बनारस का नाम रोशन कर रहे।
बनारस-शहनाई और बिसम्मिलाह खाँ एक दूसरे के पर्याय रहे हैं। खाँ साहब ने न केवल शहनाई को मंदिरों से निकालकर गरिमामयी रूप में मंच तक लाने का सत्प्रयास किया वरन बनारस की गायकी को भी अपनी शहनाई के माध्यम से जिया है। आज भी अनेक शहनाई वादक इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
आज की युवा पीढ़ी घराने तथा घरानों की विशिष्टताओं से अपरिचित है। स्पिक मैंके व सिडबी ने ये संयुक्त बीड़ा उठाया है कि बनारस घराने की गायकी, तबला वादन तथा शहनाई को लगभग 24 कार्यशालाओं के माध्यम से युवाओं से जोड़ने का प्रयास किया जायेगा ।
ये कार्यशालाएँ वाराणसी के अनेक विद्यालयों जैसे सनबीम ग्रुप, स्मिथ, आर्य महिला महाविद्यालय, अग्रसेन कॉलेज, राजघाट बेसेंट स्कूल, दिल्ली पब्लिक स्कूल, दयावती मोदी अकादमी, का0 हि0 वि0 वि0, काशी विद्यापीठ, डालिम्स स्कूल आदि अनेक शिक्षण संस्थाओं में आयोजित होंगी जिससे विद्यार्थी बनारस घराने की तबला वादन, गायन शैली तथा शहनाई वादन से सुपरिचित हो सके हम उन्हें पाँच दिनों में कलाकार तो नहीं बना सकते किन्तु उनके अंदर बनारस घराने से जुड़ने हेतु इच्छा जागृत कर सकते हैं। प्रत्येक कार्यशाला में लगभग तीस बच्चे पाँच दिनों तक सीखेंगे। अन्तिम दिन उनकी प्रस्तुति भी होगी। कार्यशाला समापन के पश्चात् कलाकार का मंच प्रदर्शन भी होगा।
पत्रकार वार्ता में स्वागत प्रिंसीपल, बसन्ता कॉलेज ने किया। बनारस घराने पर प्रो शारदा वेलणकर एवं डॉ. सुचरिता गुप्ता ने प्रकाश डाला। सिडबी की ओर से श्री. वी एस वी राव, उप प्रबंध निदेशक, सिडबी ने सिडबी की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों और बैंक द्वारा किए गए विभिन्न प्रचार और विकासात्मक पहलुओं पर प्रकाश डाला। डॉ. आर के सिंह, मुख्य महाप्रबंधक ने प्रोजेक्ट केयर पर प्रकाश डाला, जो सिडबी की एक पहल है, विलुप्त हो रही विभिन्न विधाओं को पुनर्जीवित करने की। उन्होंने वर्त्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान प्रोजेक्ट केयर के तहत चल रहे अन्य पहलुओं के बारे में बताया। डॉ. सिंह ने बनारस घराने पर होनी वाली आगामी कार्यशाला की पृष्ठभूमि भी बताई। श्री मनीष सिन्हा, महाप्रबंधक और आर.ओ प्रभारी ने 6 महीनों में प्रस्तावित प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डाला, जो फरवरी 2023 के दौरान समाप्त होगी।
स्पिक मैके की ओर से डॉ. किरन सेठ ने इस आयोजन की प्रारूप एवं सफलता विडिओ के माध्यम से दी। पत्रकार वार्ता में श्री यू0 सी0 सेठ, डॉ. समरेन्द्र सिंह, डॉ. मधु शुक्ला, डॉ. शुभा सक्सेना, डॉ. विभा सिंह, शांभवी शुक्ला, श्रेयस शुक्ला, वीना सेठ आदि उपस्थित रहे।
सिड्बी के बारे में:
1990 में अपने गठन के बाद से सिडबी अपने एकीकृत, अभिनव और समावेशी दृष्टिकोण के माध्यम से समाज के विभिन्न स्तरों पर नागरिकों के जीवन को प्रभावित कर रहा है। सिडबी ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न ऋण और विकासात्मक उपायों के माध्यम से सूक्ष्म और लघु उद्यमियों (एमएसई) के जीवन को छुआ है, चाहे ये पारंपरिक व घरेलू छोटे उद्यमी हों; उद्यमिता पिरामिड के निम्नतम स्तर के उद्यमी हों अथवा उच्चतम स्तर के ज्ञान-आधारित उद्यमी हों। सिडबी 2.0 अपने साथ समावेशी, अभिनव और प्रभाव-उन्मुख संबद्धताओं की दृष्टि को लेकर चल रहा है।