ठाणे [ अमन न्यूज नेटवर्क ] कर्मयोगी , जनसेवक एड बनवारीलाल शर्मा की स्मृति में जय परशुराम सेना की ओर से आयोजित कार्यक्रम नानी बाई रो मायरो फेम स्वर कोकिला यती किशोरी ने भजन प्रस्तुत किया . इसके पूर्व गोस्वामी जन्माष्टमी दास अधिकारी ने श्रीमद भागवत गीता का पाठ वाचन किया है .आचार्य पं . सुभाष शर्मा ने एड शर्मा के कार्यों और उनके जीवन यात्रा के बारे में उपस्थित लोगों को अवगत कराया .
ठाणे दमानी इस्टेट के श्रीदत्त मंदिर में सुविख्यात यती किशोरी ने कहा कि एड शर्मा मेरे दादा के समान थे और उन्होंने ने मेरी तारीफ करते हुए मुझे ठाणे आमंत्रित करने के लिए कहा था . आज वे हमारे बीच नहीं है उनकी यादें हमेशा समाज में बनी रहेगी . इस कार्यक्रम में जय परशुराम सेना के संस्थापक अध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा , डा सुशील इन्दोरिया , पूर्व कस्टम अधिकारी रुबिन , पुलिस अधिकारी धनाजी वरगडे , शशिकांत शिर्के , पुलिस नाईक ,चंद्रकांत वाघ , बालमुकुन्द मिश्रा ,रामचंद्र तोदी , प्रदीप गोयंका , राजेश हलवाई , वीरेंद्र रुंगटा , लक्ष्मीकांत मूंदड़ा ,पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के अंगरक्षक रहे राजू पाटील , महावीर पैन्यूली , अमन वर्तवाल समेत बड़ी संख्या में विविध क्षेत्रों के गणमान्य लोग उपस्थित थे .
एड बनवारीलाल शर्मा भगवान परशुराम के आदर्शों को आत्मसात कर एक वकील और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अन्याय के खिलाफ आजीवन लड़ते रहे हैं । भले ही आज वे हमारे बीच व्यक्ति के रूप में मौजूद नहीं है।उनकी आत्मा आज भी हम सबके बीच मौजूद है । इसका हम सभी अहसास कर रहे है । उनके जीवन की कार्य पद्धति , व्योहार और विविध क्षेत्रों में कार्य हमेशा प्रेरणादाई बने रहेंगे । एड शर्मा एक सामान्य इंसान नहीं असामान्य व्यक्ति थे । उनके जीवन और व्योहार में भगवान परशुराम की झलक दिखाई देती थी जिसका आज भी हम सब अहसास कर रहे है । ऐसा लगता है कि उन्होंने सिर्फ अपना शरीर छोड़ा और अजर अमर हो गए हैं ।
एक वकील के साथ साथ उन्होंने हिंदी भाषी एकता परिषद , राजस्थानी सेवा समिति और ब्रह्म फाउंडेशन के माध्यम से जो कार्य किए वे हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए हमेशा प्रेरणादायक बने रहेंगे । इसलिए हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि उनके जीवन और कार्यों का स्मरण कराते रहें । उनमें लोगों को साथ लेकर चलने की अद्भुत कला थी । वे एक अजातशत्रु थे जिनका कोई दुश्मन नहीं था । यदि उन्हें कोई बात सही नहीं लगती तो उसका तुरंत विरोध कर देते ,बाद में मुस्कुरा कर समझाते थे। वे किसी भी कार्य के लिए खुद निर्णय लेते थे लेकिन कोई भी कार्य करने से पहले सलाह भी लेते थे । उनके यही गुण बताते है कि वह सामान्य व्यक्ति नहीं बल्कि भगवान परशुराम के एक अंश के रूप में हमारे बीच रहे और एक आदर्श छोड़कर चले गए । उनकी अनुपस्थित में उनकी जीवन पद्धति और कार्य हमें प्रेरणा देते रहेंगे ।