मुंबई [ अमन न्यूज नेटवर्क ] जलवायु परिवर्तन आज की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है और इसमें ट्रांसपोर्ट सेक्टर का बड़ा योगदान है। बसें भारत की जन-साधारण परिवहन प्रणाली की रीढ़ हैं, लेकिन इन सभी गाडि़यों में इलेक्ट्रिक बसों का योगदान केवल 1% है। डीजल से चलने वाली मौजूदा बसों को इलेक्ट्रिक में बदलने से कार्बन का उत्सर्जन काफी कम होगा, यात्रियों की सुविधा बढ़ेगी और कुल मिलाकर शहरों में होने वाले प्रदूषण में कमी आएगी। श्री देवेन्द्र चावला, एमडी एवं सीईओ, ग्रीनसेल मोबिलिटी
ग्रीनसेल मोबिलिटी भारत में शहरों के अंदर और बाहर की यात्रा को इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने का काम कर रही है। हम इलेक्ट्रिक मोबिलिटी-एज-अ-सर्विस (ई-एमएएएस) देने के लिये एक प्लेटफॉर्म बना रहे हैं और साझा परिवहन की मांग के आधार पर प्रदूषण-रहित प्रस्ताव के लिये काम कर रहे हैं। हम इलेक्ट्रिक यातायात के लिये एक विस्तृत परितंत्र बना रहे हैं। इसमें चार्जिंग के लिये हमारा अपना बुनियादी ढांचा, बस डिपो, रख-रखाव की सुविधाएं और गेस्ट लॉन्जेस शामिल हैं। अपनी शुरूआत के बाद से हमारी इलेक्ट्रिक बसों ने 130 मिलियन किलोग्राम से ज्यादा CO2 का उत्सर्जन टाला है। NueGo भी भारत का सबसे बड़ा इंटरसिटी इलेक्ट्रिक बस ब्रैंड बनकर उभरा है। NueGo ने दो साल में ही 45 मिलियन किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय किया है, वह भी उत्सर्जन के बिना और 110+ शहरों के 5 मिलियन से अधिक यात्रियों ने उसके माध्यम से यात्रा की है। श्री देवेन्द्र चावला, एमडी एवं सीईओ, ग्रीनसेल मोबिलिटी
हम बसों को इलेक्ट्रिक बनाने की कोशिश कर रहे हैं, यानी इन्हें बिजली से चलाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा करने से प्रदूषण कम होगा और हमारी धरती साफ-सुथरी रहेगी। हम शून्य उत्सर्जन वाला भविष्य बनाएंगे। हमारी सरकार और सभी हितधारक भी इस काम में हमारी मदद कर रहे हैं। हमें पूरा विश्वास है कि भारत दुनिया में इलेक्ट्रिक वाहनों का सबसे बड़ा देश बनेगा। इलेक्ट्रिक वाहन जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये हमारी साझा जिम्मेदारी का प्रमाण हैं।