




मुंब्रा में मौलाना सैयद मोइनुद्दीन अशरफ की अध्यक्षता में जमाते अहले सुन्नत कि तरफ से ईद मिलाद-उल-नबी के जुलूस को शरीयत के मुताबिक निकालने ,ईद मिलाद-उल-नबी के मौके पर क्या करना चाहिए और किस काम से दूर रहना चाहिए। इस मुद्दे पर उन्होंने ने विस्तार से तक़रीर किया। ईद मिलाद-उल-नबी शरीयत द्वारा किस तरह मनाने का आदेश इसलाम ने दिया हैउनपर अमल किया जाए। इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर आयोजित महत्वपूर्ण बैठक में मुंब्रा और उपनगरों के मस्जिदों के इमामों, विद्वानों, ट्रस्टियों, सामाजिक, राजनीतिक व धार्मिक संगठनों के स्वयंसेवकों ने भाग लिया।
इस बैठक में मौलाना सैयद मोइनुद्दीन अशरफ ने कहा कि यह बैठक जमात अहले सुन्नत की ओर से विशेष रूप से ईद मिलाद-उल-नबी के जुलूस के दौरान ग़लत और गैर शरई मामलों को रोकने के लिए बुलाई गई थी। यहां घोषणा की गयी कि अल्लाह के रसूल पैग़म्बर मोहम्मद साहब के जन्मदिन के मौके पर मनाए जाने वाले उत्सव में अल्लाह की मर्जी और उसकी खूशी वाले काम किए जाएं और किसी भी प्रकार का कोई ऐसा कार्य नहीं होना चाहिए जो अल्लाह और उसके रसूल को नाराज करता हो और जिसे करने का शरीयत द्वारा आदेश नहीं दिया गया हो। बल्कि डीजे और अन्य फिज़ूल काम में खर्च किया जाने वाला पैसा समाज के कल्याण, जरूरतमंदों को राशन, गरीबों की मदद, छात्रों की फीस चुकाने, गरीब लड़कियों की शादी और अस्पतालों में मरीजों के इलाज पर खर्च किया जाना चाहिए। मौलाना अशरफ ने कहा कि इस दिन अल्लाह के रसूल की शिक्षाओं को लोगों तक पहुँचाने का काम किया जाना चाहिए और उन्होंने कहा कि एक प्रतिनिधि मंडल पुलिस प्रशासन से मिलेगा और जुलूस में या ईद मिलाद पर डीजे आदि बजाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग करेगा।
इस तरह इस दिन हर तरह के अवैध व गैर शरई मामलों को रोकने के प्रयास को लेकर अन्य उलेमाओं ने भी अल्लाह के पैगंबर के जन्मदिन के नाम पर गैर शरई मामलों की कड़ी निंदा की। उन्होंने युवाओं से अपील की है कि वे इस अवसर पर विशेष रूप से दान-पुण्य करके लोगों की मदद करना शुरू करें और अल्लाह की नाराजगी से परहेज करते हुए गरीब व जरूरतमंद लोगों की मदद करने का कार्य करें।