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PRS: म्यूजिक कॉपीराइट सोसायटी के रूप में आगे बढ़ रहा है भविष्य को सँवारने की राह में

मुंबई [ अमन न्यूज नेटवर्क ] IPRS आज के दौर में भारतीय संगीत उद्योग जगत केलिए सबसे मूल्यवान और बेहद आवश्यक सहारा बन गया है। संगीत के मालिकाना हक और रॉयल्टी के समर्थन में मज़बूती से खड़े होना और रचनाकारों के हितों को बढ़ावा देना हमेशा से ही IPRS की प्रेरणा का स्रोत रहे हैं, और इन्हीं बातों ने संस्था को बीते वर्षों में सक्रिय और लक्ष्य पर केंद्रित रखा हैं।

          कॉपीराइट अधिनियम में साल 2012 में संशोधन ने IPRS और म्यूजिक क्रिएटर्स एवं पब्लिशर्स बिरादरी के लिए एक नई शुरुआत का रास्ता साफ किया। साल 2017 में नए बोर्ड के गठन और अध्यक्ष के रूप में श्री जावेद अख़्तर की अगुवाई में IPRS ने एकस्पष्टलक्ष्यकेसाथअपने नए सफर की शुरुआत की। उसी साल भारत सरकार ने IPRS को कॉपीराइट सोसाइटी के रूप में पंजीकृत किया। इसके बाद से IPRS का मजबूती से विकास हुआ और यह भारत में गीतकारों, संगीतकारों और म्यूजिक पब्लिशर्स का प्रतिनिधित्व करने वाली सबसे बड़ी म्यूजिक कॉपीराइट संस्था के तौर पर उभर कर सामने आया है। पेरिस स्थित इंटरनेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ सोसाइटीज ऑफ ऑथर्स एंड कम्पोज़र्स (CISAC) द्वारा 2018 में IPRS को कॉपीराइट सोसायटी के रूप में फिर से शामिल किया गया, जिससे आगे चलकर IPRS को दुनिया की शीर्ष कॉपीराइट सोसाइटी के रूप में बड़े पैमाने पर स्वीकृति मिली।

        बीते कुछ सालों में IPRS ने दुनिया के कुछ बड़े डिजिटल सेवा प्रदाताओं (DSPs) और भारतीय संगीत उद्योग जगत की कुछ महत्वपूर्ण संस्थाओं के साथ सुनियोजित तरीके से लाइसेंसिंग समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके बाद IPRS के राजस्व में जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो वित्त-वर्ष 2017-18 में 46 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त-वर्ष 21-22 में 314 करोड़ रुपये हो गया। 5 साल में 500% से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई। CISAC द्वारा IPRS को दुनिया में सबसे तेजी से विकसित होने वाले म्यूजिक कलेक्शन सोसाइटी के रूप में मान्यता दी गई। हाल में आई महामारी के दौरान संगीत उद्योग से आय के नियमित स्रोत पर काफी बुरा असर पड़ा, और इसी दौर में यह बात पूरी तरह से स्पष्ट हो गई कि IPRS जैसी कॉपीराइट संस्थाओं की भूमिका बेहद अहम है। IPRS ने नियमित अनुदान और आर्थिक सहायता के साथ-साथ 210 करोड़ रुपये की रॉयल्टी का वितरण करके संगीत बिरादरी से जुड़े लोगों के भरण-पोषण और उनकी भलाई में अपनी अहम भूमिका साबित की है। वित्त-वर्ष 22-23 के दौरान IPRS के राजस्व के 400 करोड़ रुपये तक पहुंचने और 300 करोड़ रुपये से अधिक के रॉयल्टी वितरण की उम्मीद है।

        आज के डिजिटल दौर में कॉपीराइट सोसायटियों की भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है, और ऐसे समय में टेक्नोलॉजी तथा इसके हमेशा विकसित होने वाले अवतार को अपनाए बिना कोई लाभ हासिल नहीं होने वाला है, बल्कि ऐसा नहीं करने से सिर्फ नुकसान ही होगा। IPRS एक प्रगतिशील संस्था है, लिहाजा यह उम्मीद की गई थी कि IPRS अपने सदस्यों के फायदे के लिए नए जमाने की टेक्नोलॉजी को सहज तरीके से अपनाएगा। बैकऑफ़िस की सहायता से मेंबर्स पोर्टल की शुरुआत सही मायने में टेक्नोलॉजी की दिशा में प्रगति के लिहाज से एक बड़ी उपलब्धि रही है, जिसके बाद पूरी व्यवस्था और भी अधिक पारदर्शी हो गई है। बीते वर्षो की तुलना में देखा जाए, तो आज IPRS के सदस्यों के पास अपने डेटा पर नियंत्रण है और उनके पास अपने डेटा की ऑनलाइन जाँच करने की सुविधा है, जिससे डेटा में किसी भी तरह की खामी को दूर करने और डेटा के कुशल प्रबंधन में मदद मिलती है।

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