ठाणे [ युनिस खान ] आदिवासी लोग कर्ज लेकर शादी विवाह में शराब , मटन पर पैसे उड़ाने से बचे और बंधुआ मजदूर न बने। इस आशय की सलाह आदिवासी विकास समीक्षा समिति के अध्यक्ष व श्रमजीवी संगठन के अध्यक्ष विवेक पंडित ने दी है। उन्होंने अपने अधिकारों को जानने और उसकी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार रहे।
ठाणे व पालघर जिले के ग्रामीण नागरिकों के मूलभूत अधिकारों की रक्षा और खासकर आदिवासी समाज के अधिकारों के बारे में मार्गदर्शन शिबिर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भाजपा राष्ट्रीय परिषद के पूर्व सदस्य ओमप्रकाश शर्मा का स्वागत किया गया। राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त पंडित ने कहा कि ओमप्रकाश शर्मा ने हमारी संगठन का बहुत सहयोग किया है। आगे बोलते हुए कहा कि लोगों को अपने अधिकारों की जानकारी होना आवश्यक है। इसके लिए हम अपने कार्यकर्ताओं के मार्गदर्शन के लिए शिबिर का आयोजन करते हैं। जब लोगों को अपने अधिकारों की जानकारी होगी तो उन्हें कोई उपेक्षित नहीं कर सकता है।
उन्होंने कहा कि शासन ने आदिवासी समाज को वन अधिकार दिया जो वर्ष 2005 से जिस जगह काबिज है उन्हें जमीन का पट्टा दिया जाता है। यदि किसी को उनकी जमीन का पट्टा नहीं मिला तो उन्हें दावा दाखिल करना चाहिए। सरकारी अधिकारी अपना काम नहीं करते तो उनसे काम कराके लेने के लिए खुद आगे आना पड़ेगा। राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त पंडित ने कहा कि बंधुआ मजदूरी प्रथा समाप्त होने बावजूद आज आदिवासी मजदूर ईंट भट्टी मालिकों से शादी विवाह या अन्य कारणों से बड़ी राशि एडवांस ले लेते है। इससे उन्हें उचित मजदूरी नहीं मिलती है। कर्ज लेकर शराब और मटन में फिजूल खर्ची से बचने की सलाह देते हुए कहा कि काम कर अपनी उचित मजदूरी लें। ईंट भट्टी मालिकों के चंगुल में फंस कर अपना नुकसान करने से बचें। स्थानान्तरण की समस्या पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है इसके लिए कार्य करना है। श्रमजीवी संगठन की कार्यकर्ता सीता घटाल ने बताया कि लोगों के मूलभूत अधिकारों के लिए नियमित मार्गदर्शन शिबिर का आयोजन किया जा रहा है इससे लोगों में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता आ रही है।