नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। नई शिक्षा नीति को भले ही अब मंजूरी मिली है, लेकिन पाठ्यक्रम में बदलाव का काम पहले ही शुरू हो चुका है। फिलहाल नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) को तैयार किया जा रहा है, जिसे इस साल के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत पाठ्यक्रम की कोर विषय वस्तु की पहचान करना और कौन सी ऐसी विषय वस्तु जिसे हटाया जा सकता है, उसे पहचाना है। वैसे भी इन नीति को लागू करने का सबसे पेचीदा पहलू स्कूलों के लिए नया पाठ्यक्रम तैयार करना है। यही वजह है कि सरकार भी इसे लेकर पूरी सतर्कता के साथ ही आगे बढ़ने की रणनीति पर काम कर रही है।
कोर विषयवस्तु को छोड़कर बाकी कोर्स को किया जाएगा कम
फिलहाल नीति में स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर जो प्रावधान किया गया है, उसके तहत कोर विषय वस्तु को छोड़कर पाठ्यक्रम के बाकी हिस्से को कम करना है। साथ ही इनमें ऐसी विषयवस्तु शामिल करना है, जो ज्यादा रचनात्मक के साथ संवाद, चिंतन और तार्किक क्षमता को बढ़ाने वाला हो। नीति का मानना है कि मौजूदा समय में जो विषयवस्तु है, वह इन चीजों से दूर रखते हुए बच्चों में सीखने की क्षमता को कुंद करने वाली है। ऐसे में वह स्वयं खोजकर सीखने और विश्लेषण करने जैसे विषयों से कोसो दूर हो जाते है। उनका ध्यान सिर्फ चीजों को रट लेने पर ही केंद्रित हो जाता है। इससे पहले पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर 2005 में नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) तैयार किया गया था। हालांकि इस पूरे बदलाव का जिम्मा एनसीईआरटी के ऊपर है।