मुंबई [ युनिस खान ] कोविड 19 महामारी के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के अभावग्रस्त बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में किसी भी तरह का व्यवधान न पैदा होने देने के लिए, लार्सेन एंड टुब्रो पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट (एलटीपीसीटी) ने अपने प्रसिद्ध प्रोग्राम ‘विद्या’ के जरिए विभिन्न राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों के 23,000 से अधिक अभावग्रस्त बच्चों को घरों में शिक्षा उपलब्ध कराने का काम किया है।
जहां इस महामारी ने भारत के स्कूलिंग सिस्टम का डिजिटल विभाजन किया है, वहीं लार्सेन एंड टुब्रो के चैरिटेबल ट्रस्ट ने अभिभावकों और समुदाय को जोड़ने वाले मॉडल के जरिए सैप (एसएपी) के कोड उन्नति के साथ सहयोग स्थापित किया है। कोड उन्नति, सैप इंडिया द्वारा कंपनियों की ओर से लोगों की डिजिटल साक्षरता और उनके आईटी कौशल विकास हेतु शुरू की गयी पहल है। शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले दो प्रमुख एनजीओ, प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन और अगस्त्य फाउंडेशन ने महामारी और लॉकडाउन के सबसे मुश्किल समय में डिजिटल शैक्षणिक गतिविधियों और विज्ञान शिक्षा आधारित प्रोग्राम्स चलाने में सहायता की।
प्रोजेक्ट विद्या के तहत महाराष्ट्र के पालघर जिले के जनजातीय प्रखंड, तलसारी के भीतरी इलाकों के जनजातीय छात्रों के लिए ऑनलाइन समर कैंप्स, विशेष रेडियो प्रोग्राम्स संचालित किये गये। प्रोजेक्ट विद्या ने गुजरात में कक्षा 10 के छात्रों के लिए भी ऑनलाइन कक्षाएं चलायी और महाराष्ट्र के तलसारी, अहमदनगर, तलेगांव, गुजरात के खारेल, नवसारी, हाजिरा, सूरत, वडोदरा, आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम, हरियाणा के फरीदाबाद एवं तमिलनाडु के कोयम्बतूर में विज्ञान की उन्नत शिक्षा उपलब्ध कराने का काम किया।
विद्या ने तलसारी में पैरेंटल एंगेजमेंट का उपयोग किया। इस मॉडल के अंतर्गत ‘क्लस्टर रिसॉर्स पर्सन्स’ (सीआरपी) और संचारक की नियुक्ति की जाती है, जो या तो माताएं होती हैं या उसी समुदाय का कोई युवा स्नातक होता/ती है, जो अर्ली चाइल्डहुड कंटेंट, पैरेंटिंग, काउंसलिंग और डिजिटल शिक्षा में प्रशिक्षित हो। उन्हें क्षेत्र के परिवारों की जिम्मेवारी सौंपी जाती है जिन्हें वो कॉल करके और घर जाकर सहायता प्रदान करते हैं। वर्तमान में, कॉल्स और व्हाट्सएप्प के जरिए शिक्षण सत्र चलाये जा रहे हैं।