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मामला उच्च न्यायालय में होने बावजूद हेलीपेड वाली मोहन अल्टिजा में बेचे जा रहे हैं मंहगे फ्लैट

कल्याण [ अमन न्यूज नेटवर्क ] कल्याण पश्चिम में मोहन ग्रुप की हेलीपेड वाली बहुमंजिली इमारत मोहन अल्टिजा में हुए अवैध निर्माण का मामला बॉम्बे हाईकोर्ट में विचाराधीन होने और हाईकोर्ट द्वारा वैध निर्माण के कोर्ट में  सबूत पेश के निर्देश के बादजूद मोहन ग्रुप द्वारा ग्राहकों को अंधेरे में रख मोहन अल्टिजा में मंहगे फ्लैट बेचे जा रहे हैं। खुलेआम नियमों की हुई अवहेलना को जानते हुए भी मनपा प्रशासन लाचार दिखाई दे रहा हैं।
             मोहन ग्रुप की मोहन लाइफ स्पेसेस एलएलपी द्वारा निर्मित हेलीपेड वाली बिल्डिंग मोहन अल्टिजा में हुए लांखों वर्ग फुट अवैध निर्माण की शासन-प्रशासन से शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नही होने के बाद शिकायतकर्ता महेश लालचंदानी ने बॉम्बे हाईकोर्ट अपील कर जांच कर उचित कार्रवाई करने की गुहार लगाई है।  जिसकी खबर कई प्रिंट एवं इलैक्ट्रोनिक मीडिया में प्रकाशित हुई जिससे घबराकर मोहन लाइफस्पेसेस एलएलपी द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील कर मीडिया पर प्रतिबंध लगाने और प्रकाशित खबरों के चलते केस दर्ज कराने की मांग की थी जिसे हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए बिल्डर कंपनी को फटकार लगाते हुए वैध निर्माण के कोर्ट में सबूत पेश करने को कहा हैं।  जिससे मोहन ग्रुप की मुसीबतें बढ़ गई हैं और कार्रवाई की तलवार लटकने लगी हैं।
               केडीएमसी मुख्यालय में अभी हाल ही में सेवानिवृत्त हुए नगर रचना विभाग के सहायक संचालक नगररचना मारुति राठौर ने सेवानिवृत्ति के दिन मौन तोड़ते हुए मोहन अल्टिजा के विषय में राज खोलते हुए अवैध निर्माण के बारे में बड़ा खुलासा किया था। पत्रकारों के एक सवाल के जबाब में उन्होंने कहा कि मोहन ग्रुप की बहुमंजिली हेलीपेड वाली इमारत मोहन अल्टिजा में कुल करीब ढाई लाख फुट निर्माण हुआ है जिसमें 40 से 50 हजार वर्ग फुट अवैध निर्माण हुआ है।
              कल्याण पश्चिम के गांधारी परिसर में बनी मोहन ग्रुप की  मोहन अल्टिजा नामक इमारत में करीब ढाई लाख वर्ग फुट अनधिकृत निर्माण बताते हुए मोहन ग्रुप के चेयरमैन जितेंद्र लालचंदानी के ही बिल्डर भाई महेश लालचंदानी ने शासन-प्रशासन से शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नही होने पर  मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। अपने पद से सेवामुक्त हुए  केडीएमसी के नगररचना विभाग के सहायक संचालक नगररचना (एडीटीपी) मारुति राठौर द्वारा मोहन अल्टिजा में 40 से 50 हजार फुट अवैध निर्माण होने का  खुलासा होते ही मनपा प्रशासन व मोहन ग्रुप में हड़कंप मच गया। मोहन ग्रुप का कहना है कि हमने  अवैध निर्माण  नही किया हैं। अब सवाल यह उठता है कि जब खुद मनपा प्रशासन 40 से 50 हजार वर्ग फुट अवैध निर्माण की बात कबूल कर रहा है तो उक्त अवैध निर्माण पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? क्या 40 से 50 हजार स्क्वायर फुट अवैध निर्माण दो-चार  दिन में हुआ है। जाहिर है कि इतना बड़ा मोहन अल्टिजा गृह संकुल बनाने में  काफी समय लगा होगा औऱ मनपा अधिकारी साइट पर भी गए होंगे तो क्या उन्होंने अवैध निर्माण होते हुए नही देखा? या फिर बिल्डर से अपना नजराना लेकर अवैध निर्माण  को  नजरअंदाज कर उसे संरक्षण देते रहे, इस तरह के कई सवाल उठाए जा रहे हैं। जिसका जबाब तत्कालीन व वर्तमान अधिकारियों को देना होगा?
          शिकायतकर्ता महेश लालचंदानी का कहना है कि मोहन अल्टिजा में करीब ढाई लाख फुट अवैध निर्माण हुआ है, केडीएमसी नगररचना विभाग के एक  प्रमुख अधिकारी सहायक संचालक नगररचना (एडीटीपी) मारुति राठौर ने जब रिटायर होते ही इसका खुलासा कर दिया है कि मोहन अल्टिजा में 40 से 50 हजार वर्ग फुट अवैध निर्माण हुआ है। तो अवैध निर्माण के मामले में मोहन ग्रुप के चेयरमेन जितेंद्र लालचंदानी और उसके भागीदारों के साथ-साथ उन अधिकारियों पर  एमआरटीपी के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है जो भवननिर्माता के साथ अवैध निर्माण के इस  गोरख धंधे में शामिल हैं?

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