ठाणे [ युनिस खान ] बढ़ते हादसों व घटिया गुणवत्ता वाले कार्य के चलते चर्चा में रहे शाहपुर – मुरबाड – खोपोली मार्ग को तत्काल छह मीटर चौड़ा किया जाए। केंद्रीय पंचायत राज राज्यमंत्री कपिल पाटिल ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के बाद बाकी सड़क को तत्काल चौड़ा किया जाए। मंत्री कपिल पाटिल के साथ विधायक किसन कथोरे ने भी राज्य सरकार पर एमएसआरडीसी को सड़क सौंपकर बड़ी गलती करने का आरोप लगाया।
केंद्रीय पंचायत राज राज्यमंत्री कपिल पाटिल ने जिलाधिकारी कार्यालय में शाहपुर – मुरबाड – खोपोली राष्ट्रीय राजमार्ग की बदहाली, अधूरे कार्यों और भूमि अधिग्रहण को लेकर बैठक की। बैठक में विधायक कथोरे, दौलत दरोदा, पूर्व विधायक गोटीराम पवार, जिला परिषद उपाध्यक्ष सुभाष पवार, जिला परिषद निर्माण अध्यक्ष वंदना भांडे, दशरथ तिवरे आदि उपस्थित थे। पंचायत राज राज्यमंत्री ने कहा कि शाहपुर – मुरबाड – खोपोली मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा मिल गया है। हालांकि, एमएसआरडीसी को अपना काम सौंपना केंद्र सरकार की बड़ी भूल थी। काम की गुणवत्ता खराब है और एमएसआरडीसी के अधिकारी इसकी जांच नहीं कर रहे हैं। राज्यमंत्री पाटिल और विधायक कथोरे ने कहा कि कई दुर्घटनाएं हुई हैं और ग्रामीणों की शिकायतें हैं। कुछ जगहों पर इस सड़क का काम 30 मीटर किया जा रहा है। हालांकि, लोक निर्माण विभाग के पास सड़क स्वामित्व का कोई सबूत नहीं है। 1977 में लोक निर्माण विभाग के पास इतनी बड़ी जगह होना संभव नहीं हुआ। इसलिए वर्तमान में केवल 6 मीटर चौड़ी सड़क का ही निर्माण किया जाए। राज्यमंत्री पाटिल ने निर्देश दिए कि शेष सड़कों का चौड़ीकरण किसानों को भुगतान कर भूमि पर कब्जा किया जाए। एमएसआरडीसी के अधिकारियों ने मंजूरी दे दी है। राज्यमंत्री पाटिल ने भी स्थानीय नेताओं से अपील की कि वे मूल भूमि मालिकों और वर्तमान में जमीन पर निर्माण कर रहे नागरिकों के बीच चल रहे विवाद का समन्वय से मार्ग निकालें।
केंद्रीय पंचायत राज राज्यमंत्री कपिल पाटिल ने जिलाधिकारी कार्यालय में शाहपुर – मुरबाड – खोपोली राष्ट्रीय राजमार्ग की बदहाली, अधूरे कार्यों और भूमि अधिग्रहण को लेकर बैठक की। बैठक में विधायक कथोरे, दौलत दरोदा, पूर्व विधायक गोटीराम पवार, जिला परिषद उपाध्यक्ष सुभाष पवार, जिला परिषद निर्माण अध्यक्ष वंदना भांडे, दशरथ तिवरे आदि उपस्थित थे। पंचायत राज राज्यमंत्री ने कहा कि शाहपुर – मुरबाड – खोपोली मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा मिल गया है। हालांकि, एमएसआरडीसी को अपना काम सौंपना केंद्र सरकार की बड़ी भूल थी। काम की गुणवत्ता खराब है और एमएसआरडीसी के अधिकारी इसकी जांच नहीं कर रहे हैं। राज्यमंत्री पाटिल और विधायक कथोरे ने कहा कि कई दुर्घटनाएं हुई हैं और ग्रामीणों की शिकायतें हैं। कुछ जगहों पर इस सड़क का काम 30 मीटर किया जा रहा है। हालांकि, लोक निर्माण विभाग के पास सड़क स्वामित्व का कोई सबूत नहीं है। 1977 में लोक निर्माण विभाग के पास इतनी बड़ी जगह होना संभव नहीं हुआ। इसलिए वर्तमान में केवल 6 मीटर चौड़ी सड़क का ही निर्माण किया जाए। राज्यमंत्री पाटिल ने निर्देश दिए कि शेष सड़कों का चौड़ीकरण किसानों को भुगतान कर भूमि पर कब्जा किया जाए। एमएसआरडीसी के अधिकारियों ने मंजूरी दे दी है। राज्यमंत्री पाटिल ने भी स्थानीय नेताओं से अपील की कि वे मूल भूमि मालिकों और वर्तमान में जमीन पर निर्माण कर रहे नागरिकों के बीच चल रहे विवाद का समन्वय से मार्ग निकालें।
शाहपुर – मुरबाड सड़क बनने से पिछले तीन साल से ग्रामीणों की हालत खराब होती जा रही है। पहले शाहपुर से मुरबाड महज आधे घंटे में पहुंचना संभव था अब एक घंटे का समय लग रहा है। इस मुद्दे पर वरिष्ठ नेता दशरथ तिवारे ने एक घंटे की देरी पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि पुरानी सड़क नई से बेहतर थी। जिला परिषद उपाध्यक्ष सुभाष पवार ने बताया कि पावले फाटा से कुदिवली तक सड़क का संपर्क नहीं होने से ग्रामीणों का रास्ता बंद कर दिया गया है। इसलिए सड़क निर्माण कार्य के टोल पर तीखा रोष जताया।
शाहपुर – मुरबाड – खोपोली मार्ग के लिए अब तक तीन ठेकेदार नियुक्त किए जा चुके हैं। इस सड़क के मूल ठेकेदार ने 3% कमीशन के साथ दूसरे ठेकेदार को काम सौंप दिया। दूसरे ठेकेदार ने तीसरे ठेकेदार को अन्य 11 प्रतिशत कमीशन दिया। केंद्रीय राज्यमंत्री पाटिल ने एमएसआरडीसी के अधिकारियों से पूछा कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है। उन्होंने यह भी सवाल किया कि जब कोई वैकल्पिक सड़क नहीं थी तो सभी पुलों और पुलियों को तोड़ने की अनुमति किसने दी।
शाहपुर – मुरबाड – खोपोली मार्ग के लिए अब तक तीन ठेकेदार नियुक्त किए जा चुके हैं। इस सड़क के मूल ठेकेदार ने 3% कमीशन के साथ दूसरे ठेकेदार को काम सौंप दिया। दूसरे ठेकेदार ने तीसरे ठेकेदार को अन्य 11 प्रतिशत कमीशन दिया। केंद्रीय राज्यमंत्री पाटिल ने एमएसआरडीसी के अधिकारियों से पूछा कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है। उन्होंने यह भी सवाल किया कि जब कोई वैकल्पिक सड़क नहीं थी तो सभी पुलों और पुलियों को तोड़ने की अनुमति किसने दी।