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हार्टफुलनेस वृक्ष संरक्षण केंद्र परियोजना का केंद्रीय कृषि मंत्री ने किया उद्घाटन

मुंबई [ अमन न्यूज नेटवर्क ] हार्टफुलनेस वृक्ष संरक्षण केंद्र ने देश भर में गंभीर रूप से लुप्तप्राय पौधों और पेड़ों की प्रजातियों के प्रसार में मदद के लिए आधुनिक ऊतक संस्कृति प्रयोगशाला (टिश्यू कल्चर लेबोरेटरी) का शुभारंभ किया। इस परियोजना का उद्घाटन माननीय केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री - श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कान्हा शांतिवनम के संरक्षण प्रयासों को चिह्नित करने के लिए किया। यद्यपि हार्टफुलनेस इंस्टीट्यूट का उद्देश्य आश्रम में पौधे उगाना है, इनका अच्छा हिस्सा देश भर में भारत में वनीकरण से जुड़े वानिकी विभाग, गैर सरकारी संगठनों और अन्य वृक्षारोपण निकायों को भी दिया जाएगा।
            इस अवसर पर बोलते हुए, श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, "आज कान्हा शांतिवनम में आकर निश्चित रूप से बहुत ही प्रेरणा प्राप्त हुई। ये अध्यात्म का भी केंद्र है, जो मानव जीवन के विकास, पुष्टि और निरंतरता, इन सब के लिए बहुत ही आवश्यक है। देखिए हम सब जानते हैं कि मानव में आध्यात्म के साथ साथ कर्म की महत्ता अधिक है। और इसलिए जब आध्यात्म और कर्म, जब दोनों मिलते हैं तो निश्चित रूप से एक बड़ी सर्जनात्मक शक्ति बन जाती है।  मैं हार्टफुलनेस सेंटर में आकर निश्चित रूप से ये अनुभव कर रहा हूं कि लोगों को रोजगार मिले, कृषि उन्नत हो, गरीब लोगों को आजीविका मिले, किसान उन्नत खेती की ओर अग्रसर हो सकें और जो हमारी ऐसी पौध है, जो विलुप्तता की ओर बढ़ रही है, उस को न सिर्फ बचाया जा सके, उसको और आगे बढ़ने की दिशा में हम चाहें तो आगे बढ़ सकते हैं। ये संदेश दाजी के पास आकर और इस पूरे नर्सरी को, टिश्यू कल्चर लैब को, बाकी पूरे गार्डन को देखकर मुझे लगता है कि निश्चित रूप से यहां जो भी आएगा उसे प्रेरणा मिलेगी और वो इस दिशा में अगर अग्रसर होगा तो हम देश का बहुत भला कर पाएंगे, पर्यावरण का बहुत भला कर पाएंगे, भूमि का संरक्षण कर पाएंगे
           दाजी ने आगे कहा, "पश्‍चिम द्वारा यह साबित करने से बहुत पहले कि पौधे जीवित प्राणी हैं, वैदिक ज्ञान ने हमेशा पेड़ों को प्राथमिकता में रखने की सिफारिश की थी। कई पेड़ों की न केवल पूजा की जाती है बल्कि भारतीय संस्कृति में उनका आध्यात्मिक महत्व भी है। हमारा पारंपरिक चिकित्सा ज्ञान भी पौधों पर आधारित है और देश के अधिकांश हिस्सों में पेड़ों को हमेशा सम्मानित प्रजातियों के रूप में उनका हक दिया गया है। पौधों की कई प्रजातियों की रक्षा करना हमारी आने वाली पीढ़ियों और समग्र पारिस्थितिकी तंत्र के लाभ की दिशा में केवल एक छोटा सा प्रयास है।

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