मुंबई [ युनिस खान ] आज देश भर की अधिकांश बिजली कंपनियां प्रौद्योगिकी के माध्यम से ग्राहक सेवा में सकारात्मक बदलाव कर रही हैं। इसके हिस्से के रूप में, यदि बिजली वितरण कंपनियां स्मार्ट मीटर का उपयोग बढ़ाती हैं, तो ग्राहक सेवा की गुणवत्ता में वृद्धि होगी और इससे ग्राहकों को समय पर रीडिंग लेने और उचित बिजली बिल प्राप्त करने की शिकायत समाप्त हो जाएगी। इया आशय का विचार एमएसईडीसीएल के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक,विजय सिंघल ने व्यक्त किया है।
सिंघल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित स्मार्ट मीटर पर एक ऑनलाइन सम्मेलन में बोल रहे थे। देशभर में ‘स्मार्ट मीटर नेशनल प्रोग्राम’ के तहत साल 2023 तक 25 करोड़ पारंपरिक मीटरों को स्मार्ट मीटर से बदलने का लक्ष्य है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने और संभावित मुद्दों को संबोधित करने के लिए सीआईआई द्वारा सम्मेलन का आयोजन किया गया था। CII पर्यावरण संरक्षण के माध्यम से विकास के लिए भारत में कार्यरत एक संगठन है। इस सम्मेलन के सीआईआई नेशनल कमेटी के सह अध्यक्ष प्रवीर सिन्हा, आंध्र प्रदेश ऊर्जा सचिव श्रीकांत नागुलापल्ली, असम के प्रधान सचिव नीरज वर्मा, पंजाब के प्रधान सचिव (ऊर्जा) वेणु प्रसाद, इंटेलिस्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष अनिल रावल, सिक्योर मीटर लिमिटेड के सुकेत सिंघल भी मौजूद थे।
इस अवसर पर सिंघल ने आगे कहा, बिजली की सही खपत को महसूस करते हुए, उपभोक्ता बिजली बचाने के बारे में अधिक जागरूक हो सकता है। स्मार्ट मीटर बिजली भुगतान प्रणाली को मौलिक रूप से बदलने जा रहे हैं। बिल को लेकर उपभोक्ताओं की शिकायतें कम होने से न सिर्फ उपभोक्ताओं को बल्कि बिजली वितरण कंपनियों को भी फायदा होगा। स्मार्ट मीटर बिजली कंपनियों के बकाया को कम करने में भी मदद करेगा , क्योंकि उपभोक्ताओं को अपने बिलों का समय पर भुगतान करने की आदत हो जाती है। समग्र रूप से बिजली कंपनियों की बैलेंस शीट को बेहतर बनाने में स्मार्ट मीटर एक लंबा सफर तय करेंगे। इसके लिए उपभोक्ताओं से इस स्मार्ट मीटर को सकारात्मक तरीके से स्वीकार करने की उम्मीद है। केंद्र सरकार स्मार्ट मीटर के लिए सकारात्मक कदम उठा रही है।
स्मार्ट मीटर निर्माण कंपनियों से बात करते हुए सिंघल ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में स्मार्ट मीटर से कनेक्टिविटी की समस्या हो सकती है। उन्होंने कहा कि इसके लिए कंपनी से और अधिक सुलभ तकनीक विकसित करने की उम्मीद है।