ठाणे [ युनिस खान ] पुणे जिले में मालिन त्रासदी के बाद स्थानांतरित किए गए साकरमाची ग्रामीणों की दुर्दशा का केंद्रीय पंचायत राज मंत्री कपिल पाटिल ने संज्ञान लिया है। उन्होंने ग्रामीणों को मानसून से पहले ग्रामीणों को घर, बिजली और पीने के पानी सहित आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने के निर्देश भी दिए और पुलिस को धोखाधड़ी करने वाले ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए।
पुणे जिले के मालिन गांव 2014 में भूस्खलन के कारण दब गया था। साकरमाची गांव की स्थिति मालिन की तरह ही थी। पुणे जिले के इस गांव का पूरा लेनदेन मुरबाड तालुका के साथ किया गया था। इस गांव के 22 परिवारों को मुरबाड तालुका के लंबाची वाडी में पुनर्वासित किया गया था। ग्रामीणों को दो साल पहले एक निजी क्षेत्र में बसाया गया था। दो पोल्ट्री शेड में प्लाइवुड से छोटे-छोटे कमरे बनाए गए थे। इसके लिए प्रत्येक परिवार के बैंक खाते में दो लाख चौदह हजार रुपये जमा किए गए। हालांकि, शेड बनाने वाले ठेकेदार ने रुपये का भुगतान किया था। यहां न्यूनतम सुविधाओं के अभाव में ग्रामीणों को परेशानी हो रही थी। मकान मालिक किराया बकाया होने के कारण परिसर खाली करने को कह रहा था। ऐसी जानकारी मिलने के बाद केंद्रीय पंचायत राज राज्य मंत्री कपिल पाटिल ने सोमवार को जिलाधिकारी कार्यालय में विशेष बैठक की। बैठक में जिलाधिकारी राजेश नार्वेकर, अपर जिलाधिकारी वैदेही रानाडे, वन विभाग के अधिकारी और ग्रामीण मौजूद थे।
साकरमाची के कुछ ग्रामीणों ने बैठक में अपना दुख व्यक्त करते हुए कहा कि शेड में मकान उपलब्ध कराने के बाद न्यूनतम सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं , हम कभी बैंक नहीं गए। हालांकि शेड बनाने वाले ठेकेदार ने एक-दूसरे के बैंक से पैसे निकाल लिए। शेड के मालिक को दो साल से किराया भी नहीं मिला है। हालांकि एक लाख 8 हजार बिजली बिल प्राप्त हो चुके हैं, ऐसी शिकायतें ग्रामीणों ने की थी। इस संबंध में केंद्रीय राज्य मंत्री कपिल पाटिल ने गंभीरता से संज्ञान लेते हुए तत्काल उपाय करने का सुझाव दिया। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि इन विस्थापित परिवारों को सहायता प्रदान करना वन विभाग की जिम्मेदारी है। गरीब परिवारों को अपनी देखभाल के लिए नहीं छोड़ना चाहिए। उन्होंने पुलिस को ग्रामीणों से ठगी करने वाले ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए।
साकरमाची के आदिवासी ग्रामीणों के खातों से पैसे निकालने के खिलाफ 12 नवंबर, 2020 को ठाणे वन विभाग के उप वन संरक्षक द्वारा ठाणे ग्रामीण पुलिस अधीक्षक के पास शिकायत दर्ज कराई गई थी। हालांकि, बैठक में खुलासा हुआ कि डेढ़ साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
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