ठाणे [ युनिस खान ] विधवा की चूड़ियां तोड़ने, सिंदूर पोंछने और मंगलसूत्र उतरवा देने की अमानवीय प्रथा को खत्म कर दिए जाने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले पर वूमंस राइट्स एक्टिविस्ट एवं सुप्रयास फाउंडेशन की अध्यक्षा डा सुमन अग्रवाल ने प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने इसे महिलाओं के पक्ष में अब तक का सबसे बड़ा और ऐतिहासिक फैसला बताते हुए केंद्र सरकार से मांग की है कि वह इस मॉडल को देश भर में लागू कर विधवा महिलाओं के संग होने वाले इस सामाजिक भेदभाव को तत्काल बंद कराए।
महाराष्ट्र के ग्रामविकास मंत्री हसन मुशरीफ व्दारा घोषित इस फैसले का प्रस्ताव दरअसल राज्य के कोल्हापुर जिले की हेरवाड ग्राम पंचायत व्दारा ग्राम विकास अधिकारी पल्लवी कोलेकर और सरपंच सुरगोंडा पाटिल ने ग्राम सभा में रखा था। इसे इतना जबर्दस्त रिस्पांस मिला जिससे प्रभावित होकर राज्य सरकार ने उसे राज्य भर में लागू कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस सिलसिले में भेजे गए पत्र में श्रीमती अग्रवाल ने कहा है कि इस तरह की कुप्रथाएं आज भी हमारे समाज के लिए नासूर बनी हुई हैं। इस कुप्रथा को अगर सामाजिक-भावनात्मक स्तर पर देखें, तो एक तरफ जहां पति का निधन होने से संबंधित महिला का जीवन ही उजड़ जाता है और उस पर दुःख का पहाड़ ही टूट पड़ता है। वहीं उसके रहन सहन पर पाबंदी लगाना उसके साथ अमानवीयतापूर्ण व्योहार ही है। महिलाओं के हक में हुए इस ऐतिहासिक फैसले के लिए उन्होंने राज्य भर की महिलाओं की ओर से महाराष्ट्र सरकार का आभार व्यक्त करते हुए हुए केंद्र सरकार से भी शीघ्र इसे देश भर में लागू किए जाने की मांग की है।