मुंबई [ अमन न्यूज नेटवर्क ]-कमिंस इंडिया लिमिटेड (NSE:CUMMINSIND) के निदेशक मंडल ने आज हुयी बैठक में मार्च 31, 2022 को समाप्त तिमाही एवं संपूर्ण वर्ष के वित्तीय परिणाम की समीक्षा करते हुए अपनी स्वीकृति दी:
इस तिमाही के दौरान कुल बिक्री ₹1468 करोड़ रही जो बीते साल इसी अवधि के मुकबाले 19 फीसदी ज्यादा रही और पिछली तिमाही के मुकाबले 14 फीसदी कम रही।घरेलू बिक्री में बीते साल इसी तिमाही के मुकाबले 7 फीसदी की वृद्धि के साथ यह ₹1046 करोड़ रही जबकि इसी साल की पिछली तिमाही के मुकाबले 17 फीसदी कम रही।निर्यात बिक्री में पिछले साल की चौथी तिमाही के मुकाबले 66 फीसदी की वृद्धि के साथ ₹ 423 करोड़ रही हालांकि यह इस साल की तीसरी तिमाही के मुकाबले 4 फीसदी कम रही ।कर पूर्व लाभ ₹ 244 करोड़ रहा है जो पिछले साल की इसी तिमाही के मुकाबले एक फीसदी कम और इसी साल की तीसरी तिमाही के मुकाबले 24 फीसदी कम रहा है।
मार्च 31, 2022 को समाप्त वर्ष के लिए कुल बिक्री बीते साल के मुकाबले 42 फीसदी बढ़कर ₹ 6026 करोड़ रही है।घरेलू बिक्री मार्च 31, 2022 को समाप्त वर्ष में बीते साल के मुकाबले 42 फीसदी बढ़कर ₹ 4416 करोड़ रही है।निर्यात बिक्री मार्च 31, 2022 को समाप्त वर्ष में बीते साल के मुकाबले 40 फीसदी बढ़कर ₹1610 करोड़ रुपये रही है।कर पूर्व लाभ (इक्सेप्शनल आयटम्स से पूर्व)31 मार्च 2022 को समाप्त वर्ष के लिए ₹ 1027 करोड़ रुपये रहा है जो बीते साल से 27 फीसदी अधिक है। शुद्ध लाभ (इक्सेप्शनल आयटम्स से पूर्व) 31 मार्च 2022 को समाप्त वर्ष के लिए ₹1159 करोड़ रुपये रहा है जो बीते साल के मुकाबले 44 फीसदी अधिक है। कमिंस इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अश्वथ राम ने कहा:- कोविड की पहली व दूसरी लहर के उपरांत भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ सुधरी है जिसमें बहुत से कारकों खासकर बड़े पैमाने पर टीकाकरण, ईज आफ डूइंग बिजनेस व मेक इन इंडिया की ओर उन्मुख सक्रिय वित्तीय नीतियां व उपाय रहे हैं। मौद्रिक नीति आसान ब्याज दरों के साथ हाल तक काफी उदार रही है। इसके अतिरिक्त अर्थवय्वस्था के बहुत से क्षेत्रों में इच्छित मांग में बढ़ोतरी देखी गयी है। हमारा विश्वास है कि सप्लाई चेन में बाधा, कमोडिटी की उंची कीमत और भूराजनैतिक कारणों के बावजूद मजबूत घरेलू मांग और निर्यात के मोर्चे पर शानदार प्रदर्शन के चलते भारत सतत आर्थिक सुधार के रास्ते पर है। साल के अधिकांश महीनों में ₹ एक लाख करोड़ से अधिक के रिकार्ड जीएसटी कलेक्शन, विवेकाधीन आयटमों पर बढ़ते खर्च, पूंजीगत व्यय और प्राथमिक तौर पर निजी क्षेत्र में पूंजीगत व्यय का चक्र वापस लौट रहा है, इन सबके के चलते आर्थिक सुधार स्वाभाविक है। मुद्रास्फीति का बढ़ा हुआ स्तर और सरकार व RBI के मुद्रास्फीति को थामने के लिए ब्याज दर बढ़ाने जैसे काम कुछ हद तक मध्यम अविधि के लिए मांग पर असर डाल सकते हैं। मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है।