ठाणे [ युनिस खान ] गत डेढ़ – दो वर्ष से अपना जान जोखिम में डालकर बगैर अवकाश व अधिक वेतन की अपेक्षा किए अपनी सेवा देने वाली परिचारिकाएँ कोरोना युद्ध लड़ रही हैं। इस आशय का उदगार व्यक करते हुए महापौर नरेश म्हस्के ने कहा कि उनके साहस , बहादुरी परिश्रम व जिद्द से हम धीरे धीरे कोरोना से विजय प्राप्त कर रहे हैं। आज विश्व प्रचारिका दिवस पर उनकी हिम्मत की सराहना कर मनोबल बढाने की आवश्यकता है।
उन्होंने ठाणे के टीकाकरण केन्द्रों पर जाकर प्रोत्साहन बढाने के लिए शुभकामनाएँ दी है। अस्पतालों में मरीजों व डाक्टरों के बीच की कड़ी के रूप में परिचारिकाएँ काम करती है। आरोग्य विभाग में उनकी महत्त्व पूर्ण भूमिका होती है उनके बगैर आरोग्य सेवा पूरी नहीं की जा सकती है। उनकी सेवाओं के लिए ही उन्हें प्यार से सिस्टर कहा जाता है। यही सिस्टर डेढ़ दो वर्ष से कोरोना महामारी से लोगों की जान बचाने के लिए रात दिन परिश्रम कर रही है। दूसरों की जान बचाने के लिए कोरोना वायरस से लड़ते हुए अपने परिवार से दूर रहकर सेवा देती रही हैं। महापौर म्हस्के ने कहा कि कोरोना मरीजों को सेवा देते समय अनेक परिचारिकाएँ कोरोना संक्रमिति भी हुई। उसके बाद स्वस्थ्य होते ही पुनः सेवा शुरू कर दी। कई परिचारिकाओं को जान भी गवाना पड़ा लेकिन उनका धैर्य कम नहीं हुआ। आज परिचारिकाएँ अस्पतालों , कोविड सेंटरों व टीकाकरण केन्द्रों में अपनी सेवाएं दे रहीं है। महापौर म्हस्के ने केक काटकर परिचारिका दिवस की शुभकामनाएँ दी है।
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