भिवंडी [ एम हुसेन ] कोरोना संक्रमण के दौरान अस्पतालों एवं डॉक्टरों पर आए दिन हो रहे हमले का विरोध करने के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के भिवंडी शाखा के सभी डॉक्टरों ने शुक्रवार को राष्ट्रीय निषेध दिन मनाया । जिसके लिए एसोसिएशन के लगभग 225 सदस्य डॉक्टरों एवं उनकी टीम ने काला फीता बांधकर मरीजों की सेवा करते हुए अपना विरोध व्यक्त किया है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भिवंडी की अध्यक्ष डॉ. उज्जवला बरदापुरकर ने बताया कि कोरोना संकट के दौरान डॉक्टरों ने अपनी जान जोखिम में डालकर 18 से 20 घंटे मरीजों की सेवा की है। उनके साथ पैरामेडिकल स्टॉफ एवं नर्सों ने कोरोना मरीजों की देखभाल में कोई कोई कसर नहीं छोड़ी है। अस्पताल में ऑक्सीजन,बेड एवं औषध आदि की कमी के चलते कुछ मरीजों को बचाया नहीं जा सका है जिसका हमें खेद है। परंतु इसके लिए डॉक्टर एवं उनका स्टॉफ जिम्मेदार नहीं है। ऐसे में कुछ मरीजों के रिश्तेदारों ने अपना गुस्सा अस्पताल एवं डॉक्टरों पर निकाला है , डॉक्टरों के साथ मारपीट करना अनुचित है ।
डॉ. बरदापुरकर ने बताया कि पिछले डेढ़ वर्ष में पूरे देश में लगभग डेढ़ करोड़ लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं, जिसमें लगभग 3 लाख लोगों को बचाया नहीं जा सका है । सभी डॉक्टरों ने अपनी जान खतरे में डालकर काम किया है।जबकि इस दौरान कई डॉक्टरों एवं उनके स्टॉफ की मौत भी हो गई है। डॉक्टरों के साथ काम करने वाले पैरामेडिकल स्टॉफ के लोगों की भी मौत हो चुकी है। इसके बावजूद डॉक्टरों एवं अस्पतालों पर हमले किए गए हैं जो चिंतनीय है। जिसके विरोध में आईएमए के सदस्यों ने काला फीता बांधकर मरीजों की सेवा करते हुए अपना विरोध व्यक्त किया है ।डॉ उज्ज्वला बरदापुरकर ने डॉक्टरों पर किए जा रहे हमले को रोकने के लिए कड़ा क़ानून बनाने की मांग केंद्र सरकार से करते हुए अस्पताल एवं डॉक्टरों पर हमला करने वालों के विरुद्ध फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामला चलाए जाने की मांग की है ।