ठाणे [ युनिस खान ] ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण के मुद्दे को लेकर चुनाव आयोग के विरोध में सर्वदलीय ओबीसी समाज की ओर जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष आक्रोश आन्दोलन कर पूरे राज्य के ओबीसी समाज के सड़क पर उतरने की चेतावनी दिया है। ओबीसी समाज के राजनीतिक आरक्षण रद्द करने के विरोध में आन्दोलन में शामिल लोग आरक्षण हमारा अधिकार है नहीं किसी के बापका है ,जिनकी जितनी संख्या भारी उनकी उतनी हिस्सेदारी , केंद्र सरकार के निषेध के नारे लगा रहे थे।
आन्दोलनकारियों का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय ने ओबीसी राजनीतिक आरक्षण को स्थगिती दिया है। इसके पहले केंद्र सरकार से ओबीसी के आंकड़े केंद्र सरकार से माँगा था ,केंद्र सरकार ने जानकारी नहीं दिया जिससे ओबीसी समाज का राजनीतिक आरक्षण खतरे मन आ गया है। इसका मार्ग निकालने के लिए राज्य सरकार ने चुनाव आयोग से पत्र व्योहार कर पांच जिला परिषद् निर्वाचित सदस्यों के पद को यथावत बनाये रखने का अनुरोध किया है। इस मुद्दे पर चुनाव आयोग के उदासीन रवैये से राज्य भर के ओबीसी समाज में भारी आक्रोश है। यदि चुनाव आयोग का यही रवैया रहा तो राज्य भर के ओबीसी समाज सड़क पर उतारकर आन्दोलन करेगा। इस आशय की चेतावनी ओबीसी समाज के नेताओं ने दिया है। अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषद् के ठाणे पालघर प्रमुख सुभाष देवरे ने कहा कि सभी राजनीतिक दल के ओबीसी नेता इस मुद्दे पर एकजुट है। उन्होंने कहा कि राज्य में 55 हजार ओबीसी की जगह रद्द हो गयी है। उन स्थानों के लिए पुनः चुनाव कराये जाने वाले हैं। यह चुनाव न करके निर्वाचित सदस्यों के पद यथावत रखने की हम सबकी मांग है। वरिष्ठ नेता दशरथ पाटील ने कहा भारतीय संविधान ने ओबीसी समाज को आरक्षण दिया है जिससे अनुसार जनहित में जनगणना होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 की गणना की रिपोर्ट घोषित नहीं की जा रही है। जिसके चलते सर्वोच्च न्यायालय ने आरक्षण रद्द करने का निर्णय लिया है। पाटील ने कहा है की यह निर्णय ओबीसी समाज के लिए अन्यायकारक है। केंद्र सरकार तत्काल जनहित में जनगणना कराये। यदि केंद्र सरकार जनगणना नहीं कराती तो तमिलनाडू की तर्ज पर महाराष्ट्र सरकार जनहित में जनगणना कराये ऐसी हमारी मांग है। राज राजपुरकर ने कहा कि पांच जिला परिषद् के ओबीसी समाज के जनप्रतिनिधियों के पद बर्खास्त कर दिए गए हैं। संपूर्ण देश के ओबीसी समाज के साथ अन्याय हो रहा है। केंद्र सरकार ने सकारात्मक पहल नहीं करती तो पूरे देश में आन्दोलन उग्र होगा। सचिन शिंदे ने केंद्र सरकार की भूमिका पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि राज्य सरकार ने चुनाव आयोग से पत्र व्योहार किया है। यदि चुनाव आयोग अपनी चुनाव आयोग न्र नहीं सुना तो ओबीसी समाज सड़क पर उतरेगा और इसकी जिम्मेदारी केंद्र सरकार और चुनाव आयोग की होगी। आन्दोलन में विलास गायकर , दिलीप बारटक्के , गजानन चौधरी ,सुजाता घाग , नितिन पाटील , श्रीकांत गाडेकर , मंजुला ढाकी , राजनाथ यादव , सलीम बेग , शोभा येवले , सुरेश पाटील खेड़े , योगेश मांजरेकर , हाजी मोमिन भाईजान ,राहुल पिंगले आदि समेत बड़ी संख्या में लोग शामिल थे।
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