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जन्मजात बहरे बच्चों के लिए साढ़े बारह करोड़ रूपये का जुपिटर अस्पताल का योगदान

ठाणे [ युनिस खान ]  जुपिटर अस्पताल ने जन्मजात बहरेपन को मिटने के लिए साढ़े बारह करोड़ रूपये का योगदान दिया है।  जिले में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों जन्मजात बहरे बच्चे आम बच्चों की तरह सुन व बोल सके इसके लिए जुपिटर फ़ौंडेशन व अन्य सरकारी , गैरसरकारी संगठनों के माध्यम से 200 बच्चों के कान का आपरेशन किया गया है। अब वे इस आपरेशन के बाद सुन और बोल सकते है।

                  बधिरों के राष्ट्रीय संगठन का अनुमान है कि भारत में 18 करोड़ बधिर हैं जिनका निदान व उपचार किया जाए तो वे आम आदमी की तरह सुन और बोल सकने के साथ आम जीवन जी सकते हैं। जुपिटर अस्पताल व जुपिटर फाउन्देशन इसे प्रतिबद्धता के साथ जन्मजात बहेरेपन के उन्मूलन की दिशा में अपनी भूमिका निभा रहा है। भारत सरकार के स्वायत्त निकाय अली यावर जंग नेशनल  इंस्ट्रीटयूट आफ स्पीच एंड हेयरिंग डिसेलिबिटीज के सहयोग से जुपिटर जन्मजात श्रवण अक्षमताओं के साथ जन्में सभी वंचित बच्चों का सौ फीसदी मुफ्त निदान व उपचार करेगा।  इसके उपचार में करीब 6 – 7 लाख रूपये खर्च आता है। इसके लिए खर्च का एक हिस्सा सरकार की ओर से मिलता है और ढाई लाख रूपये का योगदान जुपिटर की तरफ से किया जा रहा है। जुपिटर अस्पताल में सीईओ व कार्यकारी निदेशक डा अंकित ठक्कर ने कहा है कि जन्मजात बहरेपन के निर्मूलन के लिए जुपिटर अस्पताल ने पहले कदम के रूप में साढ़े बारह करोड़ रूपये देने का वादा किया है जिससे कम से कम 500 बच्चों का निदान व उपचार हो सके।  अब तक 200 बच्चे इस योजना से लाभान्वित हुए है।

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