मुंबई [ अमन न्यूज नेटवर्क ] सोसल फोरम ऑन हयूमन राइट की वैबिनार के माध्यम से कैदियों के अधिकार एवं गिरफ्तारी के समय गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकार से सम्बंधित सैमिनार का राष्ट्रीय स्तर पर आयोजन किया गया। मुख्य प्रवक्ता एच के पासवान (प्राचार्य लॉ कालेज कोरबा छत्तीसगढ़), राष्ट्रीय सयुंक्त महासचिव एस एफ एच आर ने उनके अधिकारों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि गिरफ्तारी से पहले उसके अधिकार मालुम होंगे तो मानवता का हनन नहीं होगा।
वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि प्रत्येक थाने में CCTV कैमरा एवं कर्मचारी व अधिकारी को सरकारी भेषभूषा केसाथ साथ मैं उनका पद भी अंकित होना चाहिए। आठ घंटे के अंदर परिवार के सदस्य को सूचित करना , स्वास्थ्य का परीक्षण कराना , राज्य मुख्यालय को भी जानकारी प्रेषित करना है। बिना जानकारी के गिरफ्तारी वैधानिक नहीं है उसको जीवन जीने का अधिकार है संविधान के अनुच्छेद 20 , 21, 22 के अनुसार एक कार्य में दो सजा का प्रावधान नहीं है। किस कारण गिरफ्तार किया उसे जानने का अधिकार है वारन्ट है या बिना वारन्ट के जमानत का अधिकार है।
24 घंटे में मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना चाहिए सरकारी खर्च पर वकील भी उपलब्ध होता है। कैदियों को अनुच्छेद14 ,19 , 21 के मुताबिक मौलिक अधिकार प्राप्त है। संविधान के अनुच्छेद 10 एक में सभी मानव जीवन जिनसे उनकी सवतंत्रता का अधिकार है। उनके साथ मानवता की भावना से व्यवहार करना चाहिए। मुख्य सरंक्षक शमशेर चन्द्र त्रिपाठी रिटायर्ड जज वरिष्ठ अधिवक्ता एन सी आर मुख्य सलाहकार रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी राजेंद्र परदेशी एवं सत्य बानी ने सोसल फोरम ऑन हयूमन राइट की तीसरी पत्रिका SFHR का विमोचन किया।
रेलवे रिटायर्ड अधिकारी बी एन सिंह को सचिव पुणे ग्रामीण क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी गई। जितेन्द्र कुमार शर्मा कार्यकारी अध्यक्ष छत्तीसगढ़ एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अजय कुमार सिंह को जिला अध्यक्ष कोरवा को नियुक्त किया गया। सैमिनार में वरिष्ठ उपाध्यक्ष जे वी एस सिसोदिया , राष्ट्रीय महासचिव वाहिद सिददीकी , सचिव अमित बनर्जी , आर बी चतुर्वेदी राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी , सभी प्रदेश अध्यक्ष एवं महासचिव नितिन अग्रवाल सफदर सिददीकी , एफ एम खान , राजकुमार चौहान , गणेश शर्मा ,गनपत चौहान , डा निशा धडके , गीता पांनडे सभी वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जगत वीर सिंह सिसोदिया ने सभी का आभार प्रकट करते हुए कहा कि यह संगठन समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपने अधिकारों के साथ अभिव्यक्ति की बात करता है। नागरिक जागरूक रहेगा तो उसका कोई भी शोषण नहीं कर सकता ये सब संविधान से मिला हुआ हैं। कैदियों को भी अधिकार प्राप्त है कि अपनी बात को न्यायालय के सामने पेश कर शोषण से बचा जा सकता है। सामाजिक न्याय की सुरक्षा करना हमारा परम लक्ष्य है।