वर्ष 2000 से 2011 तक बने झोपड़ा धारक ढाई लाख रूपये जमा कर ले सकेंगे अधिकृत घर
ठाणे [ युनिस खान ] पुनर्वास योजना में शामिल झोपड़ा हटाने के पांच वर्ष बाद पुनर्वास में मिला घर बेचा जा सकता है। इससे तरह वर्ष 2000 से 2011 तक के झोपड़ा धारक ढाई लाख रूपये जमा कर अधिकृत घर ले सकेंगे। राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अनुमति से गृहनिर्माण मंत्री डा जितेंद्र आव्हाड की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने दीवाली पर झोंपड़ियों के मालिकों को दिवाली का तोहफा दिया है। इस आशय की जानकारी गृहनिर्माण मंत्री डा आव्हाड ने दी है।
झोपड़पट्टी पुनर्वास योजना में घर मिलने पर पहले दस वर्ष तक बेचने के लिए इन्तजार करना पड़ रहा था। नए निर्णय से अब झोपड़ा हटाने के बाद सिर्फ पांच वर्ष में बेंचा जा सकता है। साथ ही वर्ष 2000 से 2011 के बीच बनी झोपड़ों को अब सुरक्षा मिलेगी और इन झोपड़ियों के मालिकों को अधिकृत घर मात्र 2.5 लाख रुपये में मिलेगा। छह महीने पहले गृहनिर्माण मंत्री आव्हाड ने कहा था कि पुनर्विकास योजना में शामिल झोपड़ियों के निष्कासन के पांच साल के भीतर घर को बेचने की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने जो विषय उठाया है वह आज वह पूरा हुआ है। इस संबंध में निर्णय लेने के लिए गृहनिर्माण मंत्री डा आव्हाड की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया। पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे, परिवहन मंत्री अनिल परब, मंत्री नवाब मलिक, मंत्री असलम शेख और मंत्री वर्षा गायकवाड़ की
समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया। पहले पुनर्वास योजना के लाभार्थियों को मकान मिलने के बाद उन्हें बेचने के लिए दस वर्ष तक इंतजार करना पड़ता था। उस निर्णय को बदलकर झोंपड़ी के मालिकों को झोपड़ी गिराए जाने के पांच साल के भीतर अपनी झोपड़ी बेचने का अधिकार मिल गया है। वर्ष 2000 से 2011 तक झोपड़ावासियों को शुल्क देकर स्थायी आवास प्रदान करने का कानून पहले से ही है। इसके लिए आपको मात्र ढाई लाख रुपये देकर घर मिलेगा। इन दोनों निर्णयों ने गरीब झोपड़ावासियों की समस्याओं को कम करने का मार्ग प्रशस्त किया है।
समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया। पहले पुनर्वास योजना के लाभार्थियों को मकान मिलने के बाद उन्हें बेचने के लिए दस वर्ष तक इंतजार करना पड़ता था। उस निर्णय को बदलकर झोंपड़ी के मालिकों को झोपड़ी गिराए जाने के पांच साल के भीतर अपनी झोपड़ी बेचने का अधिकार मिल गया है। वर्ष 2000 से 2011 तक झोपड़ावासियों को शुल्क देकर स्थायी आवास प्रदान करने का कानून पहले से ही है। इसके लिए आपको मात्र ढाई लाख रुपये देकर घर मिलेगा। इन दोनों निर्णयों ने गरीब झोपड़ावासियों की समस्याओं को कम करने का मार्ग प्रशस्त किया है।