मुंबई [ अमन न्यूज नेटवर्क ] रोगाणुरोधी प्रतिरोध, एंटीबायोटिक दवाओं को हराने के लिए सूक्ष्मजीवों की क्षमता, एक ‘धीमी महामारी’ है, और यह वैश्विक स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और विकास के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है। स्वच्छता प्रथाओं का पालन करने की आवश्यकता के बारे में जनता के बीच जागरूकता पैदा करने और इस बढ़ती चिकित्सा चुनौती को रोकने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग से बचने की तत्काल आवश्यकता है।
अमृता लीजन ऑफ एंटीमिक्राबियल रेसिस्टेंस मैनेजमेंट (एएलएआरएम) 2021, तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वक्ताओंने सल्ला किया। रोगाणुरोधी प्रतिरोध पर संवाद 19-21 नवंबर, 2021 के बीच आयोजित किया गया था । और वह अमृता विश्व विद्यापीठम के अमृता स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजीने इस कार्यक्रम का आयोजन किया था।
अमृता स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के डीन डॉ.बिपिन नायर ने अपने संबोधन में ‘वन हेल्थ’, एक सहयोगी, बहु-क्षेत्रीय और ट्रांसडिसिप्लिनरी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया जिसमें न केवल लोगों के विचारों बल्कि जानवरों, पौधों और उनके स्वास्थ्य, साझा पर्यावरण के विचार पर भी जोर दिया गया।
अपने भाषण में डॉ.व्हिक्टर निझेट, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, यूसी सैन डिएगो स्कूल ऑफ मेडिसिन ने कहा, “कि एंटीबायोटिक प्रतिरोध एक जटिल वैश्विक समस्या का प्रतिनिधित्व करता है जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से अभिनव और प्रभावी समाधान के साथ-साथ सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता होती है।