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ओबीसी समाज को अपना अस्तित्व बनाये रखने के लिए आगे आकर लड़ना होगा – डा जितेंद्र आव्हाड

ठाणे [ युनिस खान ] मंडल आयोग को लागू करने के लिए ओबीसी समुदाय को संघर्ष करना चाहिए था उस समय दलित वर्ग मैदान में उतरकर था लेकिन ओबीसी समाज पीछे रह गया। अब ओबीसी समाज को अपने अस्तित्व को टिकाने के लिए मैदान में उतरना पड़ेगा।  इस आशय का उदगार राज्य के गृहनिर्माण मंत्री डा जितेन्द्र आव्हाड ने व्यक्त किया है।

ओबीसी एकता समिति की ओर से ठाणे के गडकरी रंगायतन में सावित्री की बेटी के रूप में ठाणे की महिलाओं की सम्मानित किया गया। इस अवसर पर इस अवसर एमएलसी रवींद्र फाटक, एमएलसी एड निरंजन डावखरे, पूर्व सांसद आनंद परांजपे , स्थायी समिति सभापति संजय भोईर, ओबीसी नेता अशोक वैती, परिवहन समिति सभापति विलास जोशी,  नगर सेवक मनोहर डुंबरे  , दिलीप बारटक्के , भूषण भोइर, संदीप लेले, उषा भोइर, मालती पाटिल, कविता पाटिल, मृणाल पेंडसे, प्रतिभा मढवी, नंदा पाटिल,  अनीता गौरी, कमल चौधरी, पूजा वाघ आदि उपस्थित थे।
इस अवसर पर गृहनिर्माण मंत्री आव्हाड ने कहा अगर ज्योतिराव फुले और सावित्रीमाई फुले नहीं होते तो आज यहां कोई महिला नहीं दिखती।  महिला चाहे किसी भी जाति की क्यों न हो, अगर वह शिक्षित है, तो इसका श्रेय केवल सावित्रीमाई को ही जाता है। कार्ल मार्क्स से बेहतर कोई है तो वो हैं ज्योतिराव फुले। सभी ओबीसी को पता होना चाहिए कि बाबासाहेब अम्बेडकर ने केवल ओबीसी के लिए कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दिया है। आज ओबीसी राजनीति को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, ओबीसी इन आरक्षणों को समाप्त करने के लिए केंद्र के खिलाफ आक्रामक नहीं हैं अब लड़ने का समय है। उन्होंने लंगड़ा न बने रहने और लड़ने की भी अपील की।
एमएलसी निरंजन डावखरे ने कहा कि यह बहुत अच्छा है कि ओबीसी एक साथ आ रहे हैं।  राज्य को इम्पिरिकल डेटा जमा करके ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण को बनाए रखने की जरूरत है। उन्होंने राज्य सरकार से इसके लिए दबाव बनाने की अपील की। इस दौरान मीनल पलांडे, डॉ.  अर्चना पवार, प्रा.  नलिनी कुडुक, आरती प्रधान, श्रुतिका महादिक, शीतल खरातमाल, वर्षा मटकर, जयश्री रमणे, प्रज्ञा गायकवाड़, संगीता बामने, विमल तांबे, कन्या खानविलकर और क्रांति और भाटू सावंत को शॉल, गुलदस्ते और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सचिन शिंदे, राहुल पिंगले, सचिन केदारी, कृष्णा भुजबल, संजय भालेराव, अमित पाटिल, जितेंद्र यादव, प्रकाश निषाद, शिव प्रसाद यादव, रामाश्रय यादव, राज राजापुरकर, राजेंद्र देसाई, अजय जाधव, नीलेश हटंकर ने कड़ी मेहनत की।

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