मुंबई [ अमन न्यूज नेटवर्क ] सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के संवर्द्धन, वित्तपोषण और विकास में लगे प्रमुख वित्तीय संस्थान, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) और एक प्रमुख भारतीय ऋण ब्यूरो सीआरआईएफ हाई मार्क ने आज ‘इंडस्ट्री स्पॉटलाइट’ का चौथा संस्करण लोकार्पण किया, जो ‘इलेक्ट्रिकल मशीनरी’ उद्योग का विश्लेषण करता है।
इलैक्ट्रिकल मशीनरी उद्योग में ऋण परिदृश्य
रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2021 तक इस क्षेत्र द्वारा प्राप्त ऋण की कुल राशि `94.8 हजार करोड़ थी, जिसमें वर्ष-दर-वर्ष 3.2% की वृद्धि देखी गई। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मार्च 2021 तक इस क्षेत्र में सक्रिय ऋणों की संख्या 199.49 हजार थी।इस उद्योग ने दिसंबर 2018 से गैर निष्पादित आस्ति में तिमाही गिरावट देखी है। मार्च 2021 में गैर निष्पादित आस्ति में वर्ष-दर-वर्ष 5.83% का सुधार हुआ और यह 13.6% रहा; जबकि तिमाही दर तिमाही 0.35% की कमी दर्ज हुई है ।क्षेत्र की निर्यात आय
भारत; स्विचगियर और कंट्रोल गियर, ट्रांसफॉर्मर और पुर्जे, औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स, केबल, ट्रांसमिशन लाइन टावर, कंडक्टर, रोटेटिंग मशीन (मोटर, एसी जनरेटर, और जनरेटिंग सेट) और पुर्जों का एक प्रमुख निर्यातक है। रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2021 तक निर्यात ऋण `2.2 हजार करोड़ रुपये था, जिसमें लगभग 8% तिमाही दर तिमाही और 6% वर्ष दर वर्ष गिरावट रही।
मात्रा के हिसाब से समग्र ऋण के अधिकांश हिस्से में एमएसएमई उधारकर्ताओं का दबदबा रहा है
मार्च 2021 तक एमएसएमई उधारकर्ता क्षेत्र को कुल ऋण (ऋण मात्रा) का 95% और ऋण की समग्र राशि (ऋण मूल्य) का 30% है। वित्त वर्ष 2020-21 में सूक्ष्म क्षेत्र के उधारकर्ताओं का संवितरण (मात्रा में) में 83% है। मार्च 2021 तक इस उद्योग में 3 लाख उधारकर्ताओं में उपस्थिति है।
ऋण संविभाग के संदर्भ में शीर्ष क्षेत्रों पर भौगोलिक अंतर्दृष्टि
राज्य स्तर पर, ऋण संविभाग (मूल्य) के मामले में महाराष्ट्र और दिल्ली दो शीर्ष राज्य हैं, जिनमें से प्रत्येक के पास मार्च 2021 तक `10,000 करोड़ से अधिक का संविभाग है ।रिपोर्ट में भारत में 12 शीर्ष विद्युत मशीनरी विनिर्माण क्षेत्रों की हिस्सेदारी पर प्रकाश डाला गया है जो ऋण संविभाग का 84% और देश में समग्र ऋण का सक्रिय इकाइयों में 32% है। सिडबी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री शिवसुब्रमणियन रमण ने कहा, “भारत दुनिया में बिजली का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है, जबकि भारत में विद्युत मशीनरी उद्योग अर्थव्यवस्था के मुख्य आधारों में से एक है। यह क्षेत्र देश के विनिर्माण उत्पादन में 8%, देश के सकल घरेलू उत्पाद में 1.5%, देश के निर्यात में 1.5% का योगदान देता है। सरकार ने घरेलू विनिर्माण को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाने के लिए प्रोत्साहन के साथ 2030 तक 30% इलेक्ट्रिक वाहन के प्रयोग का लक्ष्य रखा है। यह विद्युत मशीनरी क्षेत्र, घरेलू निर्माताओं के लिए एक बड़ा अवसर प्रस्तुत करता है और बहुगुणित वृद्धि के साथ इसका भविष्य उम्मीद से भरा है।”
सीआरआईएफ इंडिया के एमडी और सीईओ श्री नवीन चंदानी ने कहा, “भारतीय विद्युत मशीनरी उद्योग के पास एक मजबूत आपूर्ति श्रृंखला द्वारा समर्थित विविधीकृत, परिपक्व और मजबूत विनिर्माण आधार है। यह उद्योग जीडीपी, निर्यात और रोजगार सृजन में अपने योगदान के माध्यम से अर्थव्यवस्था में अत्यधिक योगदान देता है। जैसे-जैसे बाजारों में सामान्य स्थिति फिर से शुरू हुई है और विनिर्माण गतिविधियों में तेजी आई, इस क्षेत्र ने सुधार के आशाजनक संकेत दिए हैं और उम्मीद है कि इसके विकास की यह गति जारी रहेगी।”
विद्युत मशीनरी क्षेत्र के लिए ऋणदाताओं की प्रोफाइल मार्च 2021 तक मात्रा में 60.3% की हिस्सेदारी के साथ इस क्षेत्र को वित्त प्रदान करने में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुख रहे हैं।