मुंबई [ अमन न्यूज नेटवर्क] न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स के पैनल में वायरोलॉजिस्ट और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस वायरस के ‘वैरिएंट्स, टीके तथा आम लोगों’ पर चर्चा की, साथ ही उन्होंने बच्चों के टीकाकरण, पहले लिए गए टीके की बूस्टर डोज़ और RT-PCR जाँच की अहमियत के बारे में भी बताया। विशेषज्ञों ने कहा कि, फिलहाल इस बात की संभावना नहीं दिखाई दे रही है कि हम जल्द ही कोविड से पहले की स्थिति में वापस लौट आएंगे। इसके बजाय, आने वाले समय में डेल्टा और ओमीक्रोन वेरिएंट के एक साथ फैलने की संभावना अधिक है। सभी विशेषज्ञों ने एक सुर में कहा कि ये दोनों वेरिएंट एक साथ फैलना जारी रखेंगे।
ICMR के सेंटर ऑफ़ एडवांस्ड रिसर्च इन वायरोलॉजी के पूर्व निदेशक, तथा सीएमसी वेल्लोर में सेवानिवृत्त प्रोफेसर और क्लिनिकल वायरोलॉजी एवं माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख, डॉ. टी जैकब जॉन ने वायरस को फैलने से रोकने तथा नए वेरिएंट के म्यूटेशन से सामने आने वाले खतरे को कम करने के लिए बच्चों के जल्द-से-जल्द टीकाकरण पर ज़ोर दिया। डॉ. टी जैकब जॉन, पूर्व प्रोफेसर और सीएमसी वेल्लोर में क्लिनिकल वायरोलॉजी एवं माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख तथा ICMR के सेंटर ऑफ़ एडवांस्ड रिसर्च इन वायरोलॉजी के निदेशक ने बच्चों के टीकाकरण पर ज़ोर देते हुए कहा, “मैं बच्चों के टीकाकरण का पुरजोर समर्थन करता हूँ। उन्हें कोवैक्सिन की तरह सुरक्षित एवं असरदार टीके लगाए जाने चाहिए। सामान्य बच्चों में भी बीमारी/मृत्यु का ख़तरा पूरी तरह ख़त्म नहीं होता है, बल्कि यह ख़तरा काफी हद तक कम हो जाता है। संक्रमण के बाद उन्हें मल्टी-सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS) और डायबिटीज होने का ख़तरा होता है। इसके अलावा, पहले से किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित बच्चों को ही कोविड का ख़तरा अधिक होता है। इन सभी को टीकाकरण से रोका जा सकता है।
अगर बच्चों को टीका नहीं लगाया जाता है, तो वे वायरस के भंडार की तरह काम करेंगे, और हमें यह भी मालूम है कि ओमीक्रोन बच्चों को बड़ी आसानी से संक्रमित करता है। उन्होंने आगे कहा, “ओमीक्रोन की दो सबसे बड़ी खासियत है। पहला, इसमें बड़ी तेजी से फैलने की क्षमता है, जो डेल्टा की तुलना में कहीं अधिक है, साथ ही यह वेरिएंट पहले हुए संक्रमण और टीकाकरण के बाद हासिल की गई इम्यूनिटी को चकमा देकर बच निकलने में भी सक्षम है। इसके स्पाइक प्रोटीन जीन पर बड़ी संख्या में म्यूटेशन की वजह से ही इस वेरिएंट में यह गुण आया है।
डेल्टा में स्पाइक प्रोटीन के रिसेप्टर-बाइंडिंग डोमेन पर दो म्यूटेशन हैं, जबकि ओमीक्रोन में ऐसे म्यूटेशन की संख्या 15 है। इसी वजह से यह एंटीबॉडी बाइंडिंग से बच निकलने में सक्षम है, जो शरीर की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है। फिलहाल उपलब्ध सभी टीके (mRNA या एडेनोवायरस-वेक्टर्ड)) के खिलाफ बेअसर हैं, क्योंकि मूल वायरस के स्पाइक प्रोटीन इन टीकों से हासिल की गई एंटीबॉडी को निष्क्रिय बना देते हैं। हालांकि, हाल के अनुभव से यह बात सामने आई है कि बूस्टर डोज़ की वजह से शरीर में बनने वाली एंटीबॉडी हमें उच्च स्तर की सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है।