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रेल लाईन के किनारे बसे झोपड़ों को बचाने के लिए हम सीना तानके खड़े रहेंगे – डा जितेन्द्र आव्हाड 

 ठाणे [ युनिस खान ] रेलवे लाइन के किनारे बनी सभी झोंपड़ियों को हटाने की कोशिश की गयी तो लाखों लोग बेघर हो जायेगे।  इसलिए मैं किसी झोंपड़ी को गिरने नहीं दूँगा।  मैं मंत्री के बाद में पहले मैं जनता का कार्यकर्ता हूं। मैं किसी को घर से बाहर नहीं निकालने दूंगा। इस आशय की चेतावनी राज्य के गृहनिर्माण मंत्री डा जितेन्द्र आव्हाड ने दी है।
           रेलवे लाईन के किनारे बसे झोपदावासियों को बेघर होने से बचाने के लिए वे खुलकर सामने आ गए हैं।  उन्होंने कहा है कि अगर कोई उन्हें उनके अधिकारों से वंचित करने जा रहा है, तो मैं अपनी छाती तानके लोगों के घर बचाने के लिए खड़ा रहूँगा। जब तक गरीबों को इंसाफ नहीं मिलेगा, मैं चुप नहीं रहूंगा। इस बीच केंद्र ने नमक की जगह पर घर बनाने का प्रस्ताव दिया है।  उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि गृहनिर्माण विभाग कभी भी नमक की जगह इमारत निर्माण की अनुमति नहीं देगा क्योंकि इससे मुंबई में पर्यावरण प्रभावित होगा।
डा जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि मीठागर की साइट पर घर बनाने का प्रस्ताव कुछ साल पहले केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को भेजा गया था।  वह एक कदम और आगे बढ़ गया है। एमएमआरडीए की योजना आदि तैयार करने की नीति है।  इसके लिए एक एजेंसी नियुक्त की गई है।  इस संबंध में मैंने मुख्यमंत्री से बात की है।  नमक सिर्फ नमक के ही नहीं बल्कि भूजल स्तर को बनाए रखने का भी एक शानदार तरीका है।  वहीं ग्लोबल वार्मिंग का असर अब मुंबई में भी महसूस किया जा रहा है।  हालांकि, अगर यह नमक खत्म हो गया तो इसका असर बड़े पैमाने पर महसूस होगा।  इसलिए हमने नमक के तवे पर इमारतें नहीं बनाने का फैसला किया है।  मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने भी इस मुद्दे पर चर्चा की है। गृहनिर्माण विभाग कभी भी नमक के जगह पर इमारतों के निर्माण की अनुमति नहीं देगा।
उन्होंने कहा कि बताया जाता है कि सरकारी जमीन पर से अतिक्रमण हटाने का फैसला कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए लिया गया।  रेलवे ने फैसले के मुताबिक पटरियों के किनारे झोपड़ी मालिकों को नोटिस जारी किया है।  अगर सरकारी जमीन पर से अतिक्रमण हटाना पड़ा तो मुंबई में 5 लाख लोगों की जिंदगी तबाह हो जाएगी।  ठाणे में हजारों लोग सड़कों पर उतरेंगे।  ऐसा फैसला जब लिया गया उस समय हमने ट्रेन को 3 घंटे के लिए रोक दिया था। मजबूर होकर सरकार को फैसला वापस लेना पड़ा। डा आव्हाड न कहा कि मैं मंत्री बाद में पहले जनता का सेवक हूँ मैं किसी को बेघर नहीं करने दूंगा। जब 35,000 झोपड़ियों को गिराने का निर्णय लिया गया।  मुझे यह भी याद है कि पहली बार हम, राकांपा कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे और अपनी सरकार को उस फैसले को उलटने के लिए मजबूर किया।

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