मुंबई [ अमन समाचार ] भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) और इक्विफैक्स इंडिया के तिमाही प्रकाशन “माइक्रोफाइनेंस पल्स” के ग्यारहवें संस्करण से पता चलता है कि माइक्रोफाइनेंस उद्योग के बकाया संविभाग ने सितंबर 2021 तक 2% की तिमाही-प्रति-तिमाही संवृद्धि दर्ज की है।
माइक्रोफाइनेंस उद्योग का बकाया पोर्टफोलियो सितंबर 2021 तक ₹2,26,000 करोड़ था। माइक्रोफाइनेंस उद्योग ने जुलाई-सितंबर 2021 तिमाही के दौरान ₹66,681 करोड़ के ऋण संवितरित किए, जिनमें जुलाई-सितंबर 2020 की इसी तिमाही की तुलना में मूल्य के हिसाब से सालाना आधार पर 96% और मात्रा के हिसाब से 94% की सुदृढ़ संवृद्धि दर्ज हुई है। इसके अलावा, 90+ दिन से अधिक की देय बकाया राशि भी सितंबर 2021 में घटकर 2.95% हो गई, जो जून 2021 में 3.01% थी। बकाया संविभाग के मामले में यथा सितंबर 2021 तक तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, बिहार, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश शीर्ष 5 राज्य रहे। इनमें तमिलनाडु ~₹29,000 करोड़ के बकाया संविभाग के साथ सबसे अग्रणी राज्य है। ~₹92,000 करोड़ के उच्चतम संविभाग के साथ वाणिज्यिक बैंक इस उद्योग को ऋण-प्रदायगी का नेतृत्व करते हैं, इसके बाद एनबीएफसी-एमएफआई आते हैं जिनका बकाया संविभाग ~₹80,000 करोड़ है।
विमोचन के अवसर पर सिडबी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री सिवसुब्रमणियन रमण ने कहा, “माइक्रोफाइनेंस; वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय वितरण-तंत्र के रूप में विकसित हुआ है। महामारी के कारण आजीविका की कठिनाई और नुकसान के कारण, सभी हितधारकों को इस क्षेत्र के बारे में नए सिरे से ध्यान देने की जरूरत है। सितंबर 2021 की तिमाही में इस क्षेत्र में चुकौतीगत चूक में गिरावट की प्रवृत्ति भी भविष्य में संवृद्धि की संभावना के लिए उत्साहजनक है।
विमोचन के अवसर पर इक्विफैक्स क्रेडिट इंफॉर्मेशन सर्विसेज प्रा. लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और इक्विफैक्स इंडिया व एमईए के कंट्री लीडर श्री के.एम. नानैया ने कहा, “कोविड प्रभाव की दूसरी लहर के बाद माइक्रोफाइनेंस संवितरण में तेजी से बहाली देश में उद्योग के लचीलेपन को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करती है। हमें विश्वास है कि सिडबी के सहयोग से माइक्रोफाइनेंस पल्स रिपोर्ट का यह ग्यारहवां संस्करण माइक्रोफाइनेंस उद्योग में उभरते रुझानों पर मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा।
माइक्रोफाइनेंस पल्स का उद्देश्य भारतीय माइक्रोफाइनेंस उद्योग में अधिकतम संवृद्धि हासिल करने वाले शीर्ष राज्यों और शीर्ष ऋण वर्गों में संवितरण से लेकर चुकौतीगत विफलता के रुझानों पर अंतर्दृष्टि प्रदान करना है। यह रिपोर्ट हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 12 स्थानीय भाषाओं में प्रकाशित की जा रही है।
सिड्बी के बारे में: 1990 में अपने गठन के बाद से सिडबी अपने एकीकृत, अभिनव और समावेशी दृष्टिकोण के माध्यम से समाज के विभिन्न स्तरों पर नागरिकों के जीवन को प्रभावित कर रहा है। सिडबी ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न ऋण और विकासात्मक उपायों के माध्यम से सूक्ष्म और लघु उद्यमियों (एमएसई) के जीवन को छुआ है, चाहे ये पारंपरिक व घरेलू छोटे उद्यमी हों; उद्यमिता पिरामिड के निम्नतम स्तर के उद्यमी हों अथवा उच्चतम स्तर के ज्ञान-आधारित उद्यमी हों। सिडबी 2.0 अपने साथ समावेशी, अभिनव और प्रभाव-उन्मुख संबद्धताओं की दृष्टि को लेकर चल रहा है। अधिक जानकारी के लिए कृपया वेबसाइट https://www.sidbi.in पर जाएँ।