ठाणे [ युनिस खान ] ठाणे मनपा आम चुनाव निर्धारित समयावधि में नहीं होने से मनपा में प्रशासक नियुक्त करने की संभावना है। प्रशासक नियुक्त करने पर मनपा पदाधिकारी व जनप्रतिनिधि भूतपूर्व हो जायेंगे। नगर पालिका से महानगर पालिका में परिवर्तित होने के 36 साल के इतिहास में पहली बार मनपा में प्रशासक की नियुक्ति होने जा रही है। कोरोना के चलते आपात स्थिति लागू होने से आम चुनाव स्थगित किये गए है वहीँ मनपा का कार्यकाल 6 मार्च 2022 को समाप्त होने वाला है। ऐसी स्थिति में राज्य के नगर विकास विभाग कार्यकाल बढाने या प्रशासक नियुक्त करने का निर्णय ले सकता है।
प्रशासक नियुक्त होने पर महापौर, विपक्ष के नेता, स्थायी समिति के अध्यक्ष और विशेष समिति के अध्यक्ष सहित मौजूदा 131 नगर सेवक भूतपूर्व हो जायेंगे। इस तरह मनपा का संपूर्ण कार्यभार मनपा आयुक्त के पास प्रशासक के रूप में चला जायेगा। वर्तमान नगर सेवकों का कार्यकाल 6 मार्च को समाप्त हो रहा है। यदि इससे पहले चुनाव होते और 5 मार्च के पहले मनपा में सत्ता स्थापित हो जाती है तो ऐसी स्थिति नहीं आती। लेकिन कोविड के कारण राज्य में सभी स्थानीय निकायों के चुनाव में देरी हुई। नवी मुंबई , कल्याण-डोंबिवली , कुलगांव, बदलापुर और अंबरनाथ नगर पालिका के चुनाव नहीं हुए अब इसमें ठाणे मनपा भी जुड़ने जा रहा है। अगले दो महीने में चुनाव होने की संभावना है और मई के अंत तक तस्वीर साफ हो जाएगी।
ठाणे नगर पालिका को 1 अक्टूबर 1982 को शासन ने महानगर पालिका घोषित कर दिया था। उस समय मनपा के अस्तित्व में आने से पहले प्रशासनिक शासन पहले चार वर्षों के लिए था। उसके बाद 1986 में मनपा का पहला आम चुनाव हुआ और शिवसेना के सतीश प्रधान को ठाणे का पहला महापौर बनने का अवसर मिला। उसके एक साल के भीतर कांग्रेस के वसंत डावखरे महापौर बने। 1987 से 1992 तक कांग्रेस के प्रभुत्व के कारण शिवसेना को छह साल तक सत्ता से बाहर रहना पड़ा। 1993 के चुनावों में शिवसेना ने सत्ता हासिल की जिसके बाद से अब तक मनपा में शिवसेना की सत्ता कायम है।
ठाणे नगर पालिका को 1 अक्टूबर 1982 को शासन ने महानगर पालिका घोषित कर दिया था। उस समय मनपा के अस्तित्व में आने से पहले प्रशासनिक शासन पहले चार वर्षों के लिए था। उसके बाद 1986 में मनपा का पहला आम चुनाव हुआ और शिवसेना के सतीश प्रधान को ठाणे का पहला महापौर बनने का अवसर मिला। उसके एक साल के भीतर कांग्रेस के वसंत डावखरे महापौर बने। 1987 से 1992 तक कांग्रेस के प्रभुत्व के कारण शिवसेना को छह साल तक सत्ता से बाहर रहना पड़ा। 1993 के चुनावों में शिवसेना ने सत्ता हासिल की जिसके बाद से अब तक मनपा में शिवसेना की सत्ता कायम है।