



ठाणे [ युनिस खान ] सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी जाने वाली जानकारी न देने में ठाणे मनपा के 21 अधिकारीयों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गयी है। राज्य सूचना आयुक्त ने वर्ष 2020-21 में नागरिकों द्वारा मांगी गई सूचना को अस्वीकार करने पर करीब 21 अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की है। इस कार्रवाई में ठाणे मनपा का नगर विकास विभाग पहले क्रमांक पर है जिसके चार अधिकारियों पर जुर्माना लगाया गया है।
मनसे के संतोष निकम ने ठाणे मनपा को सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सूचना देने से इनकार करने वाले अधिकारियों और उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जानकारी मांगी थी। जिसके अनुसार यह जानकारी मनपा के स्थापना विभाग द्वारा निकम को उपलब्ध कराई गई है। दंडात्मक कार्रवाई के लगभग 53 मामले सूचीबद्ध किए गए हैं। इन 53 मामलों में करीब 21 अधिकारियों को दोषी ठहराया गया है। इनमें नगर विकास के सर्वाधिक 4, उसके बाद कार्मिक 2 , विद्युत विभाग 2 , कार्यपालक अभियंता 2 , चिकित्सा विभाग 1 , वृक्ष प्राधिकरण विभाग का 1 अधिकारी शामिल है। जुर्माना राशि 2,500 रुपये से 40,000 रुपये तक लगायी गयी है। पूर्व स्थापना अधीक्षक रश्मि गायकवाड़ को 40,000, नगर विकास के अतुल काले को 25,000; महेश रावल को 18,000, वर्तक नगर प्रभाग समिति के अधीक्षक बालू पिचड़ को 5,000, वैजयंती देवगीकर को 10,000, चिकित्सा अधिकारी को 32,000 , इस्टेट विभाग के प्रदीप घाडगे को 32000, वृक्ष प्राधिकरण के दिनेश गावड़े को 15,000, लोकमान्य के कार्यकारी अभियंता संदीप सावंत को 30,000 रूपये इस तरह कुल 2 लाख 85 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
जानकारी न देने वालों के नाम और दंड की राशि वेबसाइट पर प्रकाशित करने के लिए संतोष निकम ने निर्देश देने की मनपा आयुक्त और कोकण विभागीय आयुक्त से मांग की है। इस तरह यह स्पष्ट है कि सरकारी कर्मचारियों द्वारा आरटीआई अधिनियम का उल्लंघन किया जा रहा है ताकि उनके हितों को खतरा न हो। सूचना का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन करने वालों को दंडित किया जा रहा है। अत: ठाणे मनपा के साथ-साथ कोंकण विभागीय आयुक्त की वेबसाइट पर सूचना से इनकार करने वाले अधिकारियों और उन पर लगाए गए जुर्माने की जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए, साथ ही जुर्माने की राशि को उनके वेतन से काटा जाना चाहिए।