भिवंडी [ युनिस खान ] अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के निमित्त केएमई सोसाइटी द्वारा संचालित जीएम मोमिन वीमेंस कॉलेज में डीएलएलई (आजीवन अध्ययन और विस्तार विभाग), मुंबई विश्वविद्यालय के सहयोग से ऑनलाइन महोत्सव : “उड़ान-विस्तार की उड़ान” का ऑनलाइन आयोजन किया गया. मुंबई विश्वविद्यालय से संबद्ध 19 कालेजों नें उक्त उत्सव में भाग लिया. पोस्टर प्रतियोगिता, रचनात्मक लेखन, लघु फिल्म, वीडियो निर्माण, भाषण, पोवाडा गायन जैसी 5 प्रतियोगिताओं के माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया.
महाराष्ट्र की संस्कृति को पोवाड़ा के रूप में संरक्षित करने के लिए डीएलएलई, मुंबई विश्वविद्यालय के प्रयास प्रशंसनीय बताया. युवाओं में लोक संस्कृति के ज्ञान को बढ़ाने में भी मदद मिली.महोत्सव का उद्घाटन डॉ. सुधीर पुराणिक, रजिस्ट्रार, मुंबई विश्वविद्यालय और प्रभारी निदेशक, डीएलएलई, मुंबई विश्वविद्यालय द्वारा किया गया. डॉ. कुणाल जाधव (प्रोफेसर, डीएलएलई, मुंबई विश्वविद्यालय ) ने महोत्सव के संबंध में मार्गदर्शन किया.प्रभारी प्राचार्य डॉ. निसार शेख एवं केएमई सोसाइटी जनरल सेक्रेटरी सोहेल फकीह ने ऑनलाइन सभा को संबोधित किया. ऑनलाइन आयोजन को गायत्री शिंदे (कला निर्देशक, भारतीय फिल्म उद्योग), गौरव खाटी (एसोसिएट डायरेक्टर, भारतीय फिल्म उद्योग) और मुंबई विश्वविद्यालय डीएलएलई के फील्ड समन्वयक और पर्यवेक्षक डॉ. कृष्णा शुक्ला, डॉ. यशोधन गावस, डॉ. शुभम सोनवणे और डॉ. श्रीमा बनर्जी जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों ने जज किया.
विद्यार्थियों ने एसएसएसएम कॉलेज, नायगांव में ऑनलाइन उड़ान उत्सव में भाग लेकर पोस्टर मेकिंग, शॉर्ट फिल्म मेकिंग और पोवाड़ा गायन में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया.ऑनलाइन उत्सव में पोवाड़ा गाकर एक मिसाल कायम की.अन्य महाविद्यालयों के जूरी सदस्य, क्षेत्र समन्वयकों, शिक्षकों और छात्रों द्वारा उनकी सराहना की गई.कार्यक्रम में डॉ.कुणाल जाधव और टीम, डीएलएलई, मुंबई विश्वविद्यालय का मार्गदर्शन अत्यंत महत्वपूर्ण और सहायक था. आयोजन को सफल बनाने के लिए डीएलएलई और आईटी विभाग की समर्पित टीम ने अथक प्रयास किया. सहायक प्रोफेसर असबा अंसारी, सहेयक प्रोफेसर तहरीन मोमिन, सहेयक प्रोफेसर नुसरत अंसारी, सहेयक प्रोफेसर रूबी पटेल, डॉ हिना मोमिन, डॉ शाज़िया मोमिन, सहेयक प्रोफेसर मिस्बाह मोमिन, सहेयक प्रोफेसर नबा मोमिन, सहेयक प्रोफेसर फराह काज़ी और परिचारक स्टाफ ने डॉ.वैशाली निर्मलकर (समन्वयक, डीएलएलई, जीएमओमिन महिला कॉलेज) और डॉ जयश्री ठाकरे (फील्ड समन्वयक, मुंबई विश्वविद्यालय ) के साथ कड़ी मेहनत की.