भिवंडी [ अमन न्यूज नेटवर्क ] भिवंडी के पास नंदीठाणे गांव के किसान नारायण भोइर की जमीन का सरकार से 11 करोड़ 66 लाख 64 हजार रुपये मिलने वाला मुआवजा किसी ने फर्जी कागजातों के आधार पर निकालकर हड़प लिया और सरकार के साथ धोखाधड़ी को अंजाम दिया है. नंदीठाणे में 8 मूल भू-स्वामियों के नाम से फर्जी आधार कार्ड व पैन कार्ड बनाकर फर्जी हस्ताक्षर कर सरकार से ठगी की गई है. इसकी शिकायत राजस्व अधिकारी ने खुद पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई है.
भिवंडी के विधायक महेश चौघुले ने इस संबंध में राज्य के राजस्व मंत्री से की है.भिवंडी के विधायक महेश चौघुले ने इस संबंध में राज्य के राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल से मामले की विभागीय जांच की मांग की है और इसका एक निवेदन राजस्व मंत्री को सौंपा है. विधायक महेश चौघुले ने इस मामले में सवाल उठाया है कि वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों ने सामान्य दस्तावेजों के साथ-साथ वारिस जांच दस्तावेज क्यों नहीं जमा किए? साथ ही, स्थानीय तलाठी और बोर्ड के अधिकारी, सात बारह खाताधारकों की जांच क्यों नहीं की गई, क्या उन पर वरिष्ठ अधिकारियों का दबाव था? इतनी बड़ी राशि का भुगतान करते हुए खाताधारकों की जांच नहीं करने के क्या कारण हैं ?
विधायक चौगुले का गंभीर आरोप है कि उप विभागीय अधिकारी बालासाहेब वाकचौरे इसमें शामिल हैं. इसलिए उप विभागीय अधिकारी समेत इस मामले में शामिल अन्य अधिकारियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की जाए. साथ ही 11 करोड़ 66 लाख 64 हजार रुपये की राशि को फर्जीवाड़ा के जरिए निकालकर किसानों को ठगने वाले व्यक्तियों को जल्द गिरफ्तार किया जाए. विधायक चौगुले ने राजस्व मंत्री विखे पाटील को बताया कि प्रांत कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है. विगत वर्षों में दो बार प्रांत कार्यालय में एंटी करप्शन की रेड पड़ चुकी है. नायब तहसीलदार रिश्वत लेने के अपराध में एंटी करप्शन द्वारा पकड़ कर जेल भेजा गया था.
तदनुसार, राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने तत्काल विभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव को 15 दिन के अंदर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है. राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील के आदेश से प्रांत कार्यालय में हड़कंप मचा हुआ है.