मुंबई [ अमन न्यूज नेटवर्क ] विश्व वीगन दिवस के उपलक्ष्य में जानवरों के शोषण को रोकने के उद्देश्य से काले कपड़े में यूएफसीआई फाउंडेशन ( युनाइटेड फॉर कम्पैशन इंटरनेशनल) से जुड़े वीगन कार्यकर्ता जुहू बीच पर उनके हक में आवाज उठाकर लोगों को प्रेरित किया ताकि उनमें बदलाव लाया जा सके.
जुहू बीच पर यूएफसीआई फाउंडेशन की संस्थापक वीगन कार्यकर्ता श्वेता सावला और लगभग ५० वीगन कार्यकर्ता लोगों को जागरूक करने के लिए लैपटॉप, टैबलेट, फोन और तख्तियों से जीवदया का संदेश दे रहे थे. साथ ही वे तबेलों, अंडा हैचरी और बूचड़खानों में जानवरों की भयावहता के वीडियो दिखाते थे, जिसे पशु उद्योग अपने उपभोक्ताओं को नहीं दिखाना चाहता है .
श्वेता सावला ने कहा कि “हम सभी विश्वास करना चाहेंगे कि हम शांतिपूर्ण लोग हैं, लेकिन हमारे भोजन के चलते होने वाली हिंसा को देखने के बाद हमें इस तथ्य के प्रति जागने की जरूरत है कि शांति वास्तव में हमारे भोजन से शुरू होती है. जानवर एक अलग प्रजाति का है जिसके साथ भेदभाव और शोषण करना उचित नहीं है. जानवर अपनी प्रजाति का चुनाव नहीं करते हैं, जितना कि मनुष्य अपने लिंग, नस्ल या यौन अभिविन्यास को चुनते हैं. मुर्गी, गाय, बकरी, सूअर, मछली, बिल्ली, कुत्ते या इंसान, हम सभी संवेदनशील प्राणी हैं और हमें शांति से सह-अस्तित्व की कोशिश करनी चाहिए.
वीगन कार्यकर्ता प्रिया मलयत ने कहा कि बहुत से भारतीय व्यंजन हैं जो शुद्ध रूप से शाकाहारी हैं. एक बार जब आप उस मानसिकता में आ जाते हैं तो किसी के लिए भी वीगन होना आसान होता है. उन प्राणियों की पीड़ा को समझें जो हमारे जैसे ही दर्द और दुख महसूस करते हैं.
वीगन कार्यकर्ता उत्कर्ष छेड़ा ने कहा कि लोगों से अपने दयालु स्वभाव को जगाने का आग्रह किया. साथ ही सर्कस, चिड़ियाघर और घोड़े की सवारी जैसे जानवरों का उपयोग करने वाले किसी भी उद्योग का समर्थन नहीं करने का आग्रह किया.
इस दौरान लोगों को वीगन जीवन शैली अपनाकर जानवरों के शोषण से हटने के लिए प्रोत्साहित किया. किसी भी पशु उत्पाद का सेवन, जानवरों पर परीक्षण किए गए सौंदर्य प्रसाधनों और अन्य उत्पादों का बहिष्कार, जानवरों की खाल से मुक्त फैशन का चयन, जानवरों के सर्कस और चिड़ियाघरों पर बंदिश, पालतू जानवरों को खरीदने के बजाय उन्हे गोद लेने की बात कही गई.