



ठाणे [ युनिस खान ] शैक्षणिक वर्ष समाप्त होने के करीब आने के बावजूद आरटीई के तहत छात्रों की प्रवेश प्रक्रिया ठाणे में ठप है। ठाणे के कासर वडवली के एक प्रतिष्ठित स्कूल यूरो स्कूल ने उप शिक्षा निदेशक के फैसले के बावजूद 35 छात्रों को आरटीई के तहत प्रवेश देने से इनकार कर दिया है। विधायक संजय केलकर ने इसे गंभीरता से लेते हुए शिक्षा अधिकारी से ऐसे स्कूलों की मान्यता रद्द करने की मांग की है. साथ ही वंचित 23 विद्यार्थियों को विद्यालयों में समायोजित करने की मांग की है।
केंद्र सरकार ने 2009 में शिक्षा के अधिकार यानी आरटीई अधिनियम के तहत छात्रों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान की है। इस अधिनियम के अनुसार, वंचित और कमजोर वर्गों के छात्रों के लिए प्रवेश स्तर पर निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है। इसी के अनुरूप शिक्षा विभाग ने यूरो स्कूल में शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए आरटीई के तहत 95 विद्यार्थियों की प्रवेश सूची घोषित की। इसमें 60 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया। शेष 35 छात्रों को प्रवेश देने से इनकार करने से इन छात्रों के माता-पिता संकट में हैं। इससे तंग आकर 12 छात्रों के अभिभावकों ने अन्यत्र प्रवेश ले लिया जबकि 23 बच्चों के माता-पिता पिछले 5 महीने से जगह जगह में भटक रहे हैं। यह जानकारी मिलने पर विधायक केलकर ने शिक्षा अधिकारियों के साथ ही शिक्षा मंत्री और शिक्षा सचिव के समक्ष इस विषय को उठाया। इसमें कहा गया है कि स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ ही स्कूलों की मान्यता रद्द की जानी चाहिए और बहिष्कृत छात्रों को प्रवेश देने की मांग को स्वीकार किया जाना चाहिए।
मंगलवार को ठाणे के यूरो स्कूल में दाखिले से वंचित रहे अभिभावक केलकर से मुलाकात की। इसमें उन्होंने शिक्षा विभाग और राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग न्याय की मांग की। शिक्षा के उप निदेशक संदीप संदीप सांगवे ने जुलाई माह में ही सुनवाई के बाद आठ दिनों के भीतर 23 वंचित बच्चों को दाखिला देने का आदेश दिया था। हालांकि अभिभावकों का आरोप है कि शिक्षा विभाग के आदेश के बावजूद स्कूल ने उसका पालन नहीं किया। उप निदेशक संदीप संदीप सांगवे ने सभी वंचित विद्यार्थियों को प्रवेश दिलाने व इसके लिए एक विशेष अधिकारी नियुक्त करने का शिक्षा अधिकारी को आदेश दिया है।