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 विश्व दृष्टि दिवस के अवसर पर हम अपनी आँखों की सेहत को प्राथमिकता दें – डॉ. अग्रवाल्स आई हॉस्पिटल

मुंबई [ अमन न्यूज नेटवर्क ]  हर साल अक्टूबर महीने के दूसरे गुरुवार को विश्व दृष्टि दिवस मनाया जाता है और इस साल ‘लव योर आइज़’ थीम के साथ इसे 13 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य अलग-अलग तरह के दृष्टि-दोषों की ओर पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित करना है, जिसमें दृष्टिहीनता भी शामिल है।

पूरी दुनिया में तकरीबन 1 बिलियन लोगों के नज़दीक या दूर की नज़र कमज़ोर है, जिसे रोका जा सकता है। दृष्टि-दोष एक ऐसी समस्या है जो हर उम्र के लोगों को प्रभावित करती है, और खास तौर पर 50 साल से ज्यादा उम्र के लोग इससे अधिक प्रभावित होते हैं। दृष्टि-दोष और दृष्टिहीनता का इंसान के जीवन के सभी पहलुओं पर स्थायी असर होता है, जिसमें रोज़मर्रा के काम-काज, समुदाय के लोगों के साथ बातचीत, पढ़ाई-लिखाई तथा नौकरी से जुड़े काम-काज और सार्वजनिक सेवाओं का लाभ उठाने की क्षमता शामिल है।

दुनिया भर में, मोतियाबिंद का ऑपरेशन नहीं होना तथा रिफ्रैक्टिव की समस्या को ठीक नहीं करना दृष्टि-दोष के प्रमुख कारणों में शामिल है। इसके अलावा भी आँखों के शुष्क होने (ड्राई आईज़) की समस्या, उम्र बढ़ने की वजह से मैक्यूला डिजेनरेशन, ग्लूकोमा, डायबिटिक रेटिनोपैथी, आँखों में होने वाले संक्रामक रोग एवं जख्म और इसी तरह की दूसरी समस्याओं की अनदेखी नहीं की जा सकती है और इन्हें ठीक करने के लिए तुरंत कदम उठाना जरूरी है। 

डॉ. अग्रवाल्स आई हॉस्पिटल, मुंबई की एक इकाई, आदित्य ज्योत आई हॉस्पिटल की कंसल्टेंट ऑप्थल्मोलॉजिस्ट, डॉ. कविता राव कहती हैं कि, हाल के दिनों में दुनिया भर में मायोपिया का बड़े पैमाने पर प्रचार हुआ है, जिसे निकट दृष्टिदोष भी कहा जाता है।आज, दुनिया भर में मायोपिया के मामले 28% से अधिक है, और अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2050 तक दुनिया की 50 प्रतिशत आबादी कुछ हद तक इससे प्रभावित होगी। स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने और लाइफस्टाइल के लगातार बढ़ रहे विकल्पों की वजह से मायोपिया के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। कोविड महामारी के दौरान भी लोगों ने, खासतौर पर बच्चों ने स्क्रीन पर काफी समय बिताया और हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि निकट भविष्य में मायोपिया भी एक महामारी का रूप ले सकती है। यह बात सामने आई है कि बाहरी गतिविधियों में वृद्धि से मायोपिया के विकसित होने की संभावना सीमित हो जाती है, और कुल मिलाकर आँखों की सेहत पर इसका काफी अच्छा असर होता है। 

बच्चों के आँखों की सेहत और मायोपिया की रोकथाम के लिए कुछ सुझाव

  1. डिजिटल उपकरणों से उतना ही नाता रखें, जो आपके लिए फायदेमंद हो। माता-पिता अपने बच्चों के गैजेट्स के उपयोग के लिए स्क्रीन पर बिताए जाने वाले समय को सीमित कर सकते हैं, साथ ही वे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के उपयोग के बारे में बच्चों को सही राह दिखा सकते हैं। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के उपयोग की निगरानी करने वाले और लंबे समय तक डिवाइस के उपयोग के बाद उसे डिस्कनेक्ट करने की याद दिलाने वाले एप्लिकेशन भी स्क्रीन पर बिताए जाने वाले समय को सीमित करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है।
  2. घर से बाहर की जाने वाली गतिविधियों को बढ़ावा दें: अध्ययनों से पता चला है कि यूवी प्रकाश के संपर्क में आने से स्क्लेरा (नेत्रगोलक की सफेद बाहरी परत) स्थिर हो जाता है, साथ ही इससे आँखों और मायोपिया के अक्षीय विस्तार को रोकने में भी मदद मिल सकती है।
  3. मायोपिया का शुरुआत में ही पता लगाने और उपचार के लिए समय-समय पर आँखों की जाँच कराना बेहद जरूरी है।
  4. आँखों का डॉक्टर ऑर्थोकरेटोलॉजी का उपयोग कर सकता है, जो कॉर्निया को नया आकार देने और मायोपिया को ठीक

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