




इसी के साथ ध्यान देनेवाली बात ये है कि भिवंडी निजामपुर शहर नगर निगम के पास किसी भी प्रकार का शैक्षिक वित्तीय प्रावधान नहीं है। जबकि नगर निगम द्वारा लगाया जाने वाला शिक्षा कर आम बजट में शामिल होता है। भिवंडी निजामपुर शहर नगर निगम की कक्षा 7वीं से 10वीं तक स्कूल छोड़ने वालों की दर बहुत अधिक है। वर्तमान में नगर निगम के विद्यालयों में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थियों को यूनीफार्म दिया जाता है। लेकिन यहां बच्चों को किसी तरह का यूनिफार्म नहीं दिया जाता है, साथ ही विद्यार्थियों को किसी तरह की पाठ्यपुस्तक भी उपलब्ध नहीं कराई जाती है।इससे विद्यार्थियों को पढ़ाई में परेशानी हो रही है। विद्यालयों में शौचालय, पंखे, बेंच आदि मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं।
जनप्रतिनिधि के रूप में इन सभी मामलों का अध्ययन करने के बाद भिवंडी शहर में कार्यरत शिक्षाविदों के साथ एक समिति का गठन किया गया है। उसके माध्यम से समिति 7वीं से 10वीं कक्षा के छात्रों को परामर्श, शैक्षिक गतिविधियों, शिक्षण प्रदान करने और बृहन्मुंबई नगरमहापालिका के स्कूलों की तर्ज पर भिवंडी निजामपुर शहर नगर निगम के स्कूलों में अतिरिक्त शिक्षक काम कर रहे हैं, लेकिन इस काम में भिवंडी निजामपुर शहर नगर निगम का सहयोग उन्हें नहीं मिल रहा है।
भिवंडी में शिक्षा की समस्या को लेकर विभिन्न माध्यमों से महाराष्ट्र विधानसभा अधिवेशन में सवाल उठाए गए। इस संदर्भ में प्राथमिक स्कूल शिक्षा मंत्री ने सदन में सत्र के दौरान दो बार भिवंडी आने का वादा किया था, लेकिन अभी तक उनका दौरा नहीं हुआ है। विधायक रईस शेख़ ने यह बात पत्रकार वार्ता के दौरान पत्रकारों से कही।