ठाणे [ इमरान खान ] सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की सही जानकारी देने के लिए मंगलवार को राकांपा , कांग्रेस व शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट की ओर से मार्गदर्शन शिविर का आयोजन किया गया है। कार्यकर्ता सही जानकारी लेकर राज्य की सत्ताधारी के गुमराह करने के प्रयास से सतर्क करेंगे। राकांपा जिलाध्यक्ष आनंद परांजपे ने पत्रकार सम्मेलन में यह जानकारी दी है। इस दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जिलाध्यक्ष विक्रांत चव्हाण, शिवसेना के शहर प्रमुख प्रदीप शिंदे भी मौजूद थे।
इस मार्गदर्शन शिविर का आयोजन डा काशीनाथ घानेकर सभागृह में मंगलवार 23 मई 2023 को शाम 6 बजे किया गया है। इसमें मुख्य मार्गदर्शन राकांपा नेता पूर्व मंत्री डा जितेंद्र आव्हाड , सांसद राजन विचारे मुख्य रूप से मौजूद रहेंगे। आनंद परांजपे, विक्रांत चव्हाण, प्रदीप शिंदे ने कहा कि इस गोष्ठी में महाविकास अघाड़ी के पदाधिकारियों को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की सारी बारीकियां समझाई जाएंगी। सर्वोच्च न्यायालय के 141 पन्नों के फैसले का विश्लेषण करना जरूरी है। पिछले कुछ दिनों से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मुख्यमंत्री के बेटे सांसद डा श्रीकांत शिंदे जनता को गुमराह कर रहे हैं। वर्तमान समय में झूठ बोलने पर ईमानदारी से बोलने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
इस झूठ का पर्दाफाश ठाणे से हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कई तरह की टिप्पणियां की हैं। शिवसेना कार्यकारिणी की बैठक 25 नवंबर, 2019 को हुई थी। इस बैठक में पार्टी प्रमुख उद्धव बालासाहेब ठाकरे को आगे के सभी फैसले लेने का अधिकार दिया गया। साथ ही एकनाथ शिंदे को विधान मंडल दल के गटनेता के रूप में नियुक्त किया गया था और सुनील प्रभु व्हिप चलाने के लिए सभी अधिकार दिए गए थे। 21 जून, 2022 को शिवसेना पार्टी के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने गटनेता शिंदे के विश्वासघात करने के बाद अजय चौधरी को गटनेता और सुनील प्रभु को विप नियुक्त किया। उसके बाद, टूटे हुए गट ने एक बैठक की और 22 जून 2022 को एकनाथ शिंदे को गटनेता और भरत गोगावले को प्रतोद पद पर नियुक्त किया।हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने गोगावले की नियुक्ति को यह कहते हुए अवैध करार दिया है कि राजनीतिक दल को तत्कालीन स्थिति में गटनेता और प्रतोद को नियुक्त करने का अधिकार है। नतीजतन, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अजय चौधरी को गटनेता के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए और सुनील प्रभु के पास अधिकारी है। इसलिए नबाब राबिया मामले की तरह ही सर्वोच्च न्यायालय मामले को सात सदस्यीय पीठ को सौंप दिया है और विधानसभा अध्यक्ष से कहा है कि वह निर्धारित समय के भीतर सदस्यों की अयोग्यता पर फैसला लें। आनंद परांजपे ने यह भी कहा कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के झूठ बोलने के कारण उनके प्रति सम्मान भी कम हो रहा है। परांजपे ने यह भी कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा है कि राज्यपाल का बहुमत परीक्षण बुलाने का कृत्य भी अवैध है।