मुंबई [ अमन न्यूज नेटवर्क ] फरीदाबाद के अमृता अस्पताल ने, इम्यूनोएक्ट के सहयोग से, जो एक आईआईटी-बॉम्बे इनक्यूबेटेड कंपनी है, कुछ विषेश कैंसर रोगियों के लिए कार टी सेल (काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर) थेरेपी शुरू की है, जिसे बी सेल लिंफोमा और ल्यूकेमिया उपचार में एक महत्वपूर्ण सफलता माना जाता है, जिसके परिणाम उन रोगियों के लिए आशाजनक हैं जिन्हें दोबारा कैंसर हुआ है। अब तक बी-सेल लिंफोमा के चार मरीज अमृता अस्पताल में इस थेरेपी को ले चुके हैं या ले रहे हैं और वो फॉलो-अप में हैं।
कार टी-सेल थेरेपी आमतौर पर भारत में उपलब्ध नहीं है और देश में बहुत कम क्लिनिकल सेंटर्स के पास इसे प्रदान करने की पहुंच और विशेषज्ञता है। इसमें प्रयोगशाला में रोगी की टी कोशिकाओं को जेनेटिकली मॉडिफाई करना शामिल है, जिससे उन्हें विशेष रूप से स्पेसिफिक कैंसर सैल्स पर हमला करने में सक्षम बनाया जा सके। इसके बाद इन टी कोशिकाओं को रोगी के शरीर में वापस डाल दिया जाता है।
अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद के मेडिकल ऑन्कोलॉजी/हेमेटोनकोलॉजी बीएमटी विभाग के सीनियर कंसलटेंट और प्रोग्राम डायरेक्टर (लिम्फोइड नियोप्लाज्म और सेल्युलर थेरेपी) डॉ. प्रशांत मेहता ने कहा, पिछले कुछ दशकों में कैंसर के उपचार में काफी सुधार हुआ है, और अब हम एक ऐसे युग में हैं जहां हम अन्य अंगों या पूरे शरीर पर कम प्रभाव के साथ, अपनी इम्यूनिटी की ताकत का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को प्रभावी ढंग से टार्गेट कर सकते हैं। हमारी इम्यून कोशिकाओं का उपयोग करने का एक नया और एडवांस तरीका कार टी-सेल थेरेपी है, जो ‘जीवित दवाओं’ से बना है। कार-टी सेल एक मरीज के जीवित टी-लिम्फोसाइट्स हैं जिन्हें कैंसर कोशिकाओं की सतह पर विशिष्ट प्रोटीन को टार्गेट करने और उन्हें मारने के लिए जेनेटिकली रीप्रोग्राम किया जाता है। इस प्रकार का ‘सेलुलर थेरेपी’ इलाज अब तक केवल स्पेसिफिक प्रकार के ब्लड कैंसर (बी-सेल लिंफोमा, बी-सेल ऑल और मल्टीपल मायलोमा) के लिए बहुत प्रभावी साबित हुआ है।