ठाणे [ युनिस खान ] कोरोना के बाद अब बर्डफ्लू से पक्षियों की मृत्यु होने की समस्या होने से शासन प्रशासन सतर्क गया है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश क बावजूद ठाणे में प्राणियों के अंतिम संस्कार के लिए स्मशान भूमि नहीं होने का मुद्दा उठाया है। मनसे जनहित व विधि विभाग के शहर अध्यक्ष स्वप्निल महिन्द्रकर ने मनपा आयुक्त डा. विपिन शर्मा से प्राणियों के लिए स्मशान की मांग किया है। बर्डफ्लू के संक्रमण बढ़ने से गत कुछ दिनों में 121 पक्षियों के मरने की जानकारी सामने आई है।पक्षी व प्राणियों की म्रत्यु के बाद उन्हें ठिकाने लगाने के लिए स्मशान भूमि नहीं होने से घन कचरा विभाग के माध्यम से डंपिंग ग्राउंड में दफ़न किया जाता है। करीब नौ माह पूर्व कोरोना संक्रमण आने के बाद अब देश के कई राज्यों में बर्डफ्लू के दस्तक देने की खबरें आने पर प्रशासन इस समस्या को रोकने के लिए सतर्क हो गया है। पक्षी व जानवरों कि मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार करने के लिए स्मशान भूमि नहीं है। ठाणे शहर में करीब 4 हजार 300 पालतू व करीब दस हजार आवारा कुत्ते हैं। इसके आलावा बिल्ली ,पक्षी आदि की बड़ी संख्या है। किसी पक्षी व जानवर मृत्यु पर उसे ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी घन कचरा विभाग की है। वह कचरा पेटी व डंपिंग ग्राउंड में डाल दिए जाने की जानकारी है। ठाणे ,पालघर व रायगढ़ जिले में एक भी पक्षी व प्राणी स्मशान भूमि नहीं है। मनपा के पशु वैद्यकीय अधिकारी ने बताया कि डेढ़ वर्ष पूर्व मृत पक्षी व प्राणी के लिए स्मशान भूमि का प्रस्ताव महासभा में आया था जिसे मंजूरी न मिलने चलते घन कचरा विभाग मृत जानवरों को ठिकाने लगाने का काम करता है। मनसे जनहित व विधि विभाग के शहर अध्यक्ष महिन्द्रकर ने मनपा ने स्मशान भूमि विकसित करने की मांग किया है।