ठाणे [ युनिस खान ] यूरोप में कुरान पर रिसर्च किया जा रहा है जबकि हमारा कुरान पर नहीं बल्कि मोबाईल पर अधिक ध्यान है। कुरान लोगों को मस्जिद तक लेजाने वाली और जिंदगी देने वाली है इससे कभी मायूसी नहीं मिलेगी। इसमें हर समस्या और मुसीबत का इलाज है। इस आशय का बयान मौलाना महफूजुर्र्हमन अलीमी ने राबोड़ी के एक जलसे में दिया है।
जलसे में मौलाना मौलाना सैयद अशरफ ,हजरत सैयद हुसैन मियां के आलावा कई मस्जिदों के इमाम और मौलाना समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। इस दौरान मदसे से आलिम की पढाई पूरी करने वाले पांच लोगों को प्रमाणपत्र देकर पगड़ी बांधी गयी। मौलाना सैयद अशरफ ने देश, दुनिया के लिए दुआ की। मौलाना महफूजुर्र्हमन ने अपने बयान में कहा कि हमें हालात को देखकर मायूस होने की जरुरत नहीं है। हमें आज इस्लाम, कुरान पर अमल करने और आने वाली नश्लों के बारे में सोचने की जरुरत है। समाज में गरीबी , बेरोजगारी की समस्या है उससे बाहर निकलने के लिए काम करना है। आज कुछ लोगों के पास पैसे हो गए तो वे शानो सौकत , मौज मस्ती और फिजूल खर्ची करते हैं उन्हें अपने मिजाज को बदले की जरुरत है। गरीबी , बेरोजगारी और शिक्षा के लिए आगे आना जरुरी है। दुनिया में जीवन और बेहतरी के लिए डाक्टर , इंजिनियर की पढाई करना सही है इसी के साथ कुरान और इस्लाम की शिक्षा अत्यंत जरुरी है। कुरान के कलाम हमें दुनिया और आखिरत के लिए काम आने वाली चीज है। रोजी रोजगार , बीमारी या अन्य किसी प्रकार की समस्या होने पर हाफिज , मौलाना , पीर फ़कीर के पास दुआ कराने जाते है। यह तो पता है कि दुआ से सब काम बन सकते हैं तो खुद कुरान पढ़े और ऐसे समस्या का इलाज कर लें या ऐसी समस्या आने से ही रोकने के लिए अमल करें। कुरान के कलाम में वह ताकत है जो हमें हर समस्या और मुसीबत से बचा सकती है। उपस्थित लोगों के साथ सलाम बढ़कर जलसा का समापन किया गया।