ठाणे [ युनिस खान ] कुछ समय पहले भगवान परशुराम का नाम लेने के लिए लोग तैयार नहीं होते थे वरिष्ठ समाजसेवी एड बी एल शर्मा ने जयंती समारोह का आयोजन शुरू किया। आज पूरे देश में भगवान परशुराम के नाम की संस्थाएं सक्रिय हैं और कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। इस आशय का उदगार जय परशुराम सेना फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा ने व्यक्त किया है। इस अवसर पर समाज में उत्कृष्ट सेवा के कई लोगों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
वागले इस्टेट के फेडरेशन हाल में भगवान परशुराम जयंती महोत्सव के कुशल आयोजन के लिए संस्था के अध्यक्ष पवनकुमार शर्मा की सराहना की गयी। इस दौरान समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले आठ लोगों पुरस्कार देकर प्रमुख अतिथियों के हाथो सम्मानित किया गया। इस अवसर पर भगवान परशुराम के जीवन चरित्र पर आधारित लघु फिल्म सुमन अत्री की ओर से प्रदर्शित की गई। गौड़ ब्राम्हण संस्था की ओर से आयोजित जन्मोत्सव में समाज सेविका श्रीमती श्वेता शालिनी को परशुराम समाज सेवा पुरस्कार, पंडित मंगतूराम शर्मा, भागीरथ प्रसाद शर्मा , बालमुकुंद मिश्रा ,ओ जी जोशी, सत्यनारायण शर्मा ,राजेंद्र दाधीच, पवनकुमार महावीरप्रसाद शर्मा को भगवान परशुराम गौरव पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। संस्था के संरक्षक ओमप्रकाश शर्मा के प्रयासों की सराहना की गयी। भगवान परशुराम की आरती के बाद उपस्थित लोगों ने महाप्रसाद का स्वाद लिया।
समाज सेविका श्वेता शालिनी ने कहा कि हम सुनते है कि ब्राम्हण जातिवादी होता है। यदि वह जातिवादी होता तो राम की नहीं रावण की पूजा होती और पाटलिपुत्र में चंद्रगुप्त का राज्य नहीं, चाणक्य का राज्य होता। हमारे समाज की बच्चियां अंतर्जातीय विवाह कर रही है। ब्राम्हणों के बच्चे विदेशों में स्थाई हो रहे है। टायगर की तरह ब्राम्हण भी विलुप्त हो जाएगा । हमारा समाज कम बच्चों को जन्म देता है। ब्राम्हण को चाहिए की वह जमीन और धन अर्जित करे। हमें अपने संस्कारों और ज्ञान अपने बच्चों को देना चाहिए।