मुंबई [ अमन न्यूज नेटवर्क ] हमारा ‘आशावाद’ इस आशा और उम्मीद पर टिका हुआ है कि सरकार फ़िस्कल से जुड़ी समझदारी का इस्तेमाल करना जारी रखेगी। मुद्रास्फीति की स्थितियों और भू-राजनीतिक संघर्षों के कारण बढ़ती वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच, समझदारी भरी फ़िस्कल नीतियों के साथ अच्छी तरह से संतुलित एक बजट, देश की विकास गति को बनाए रखने और एक मज़बूत और टिकाऊ आर्थिक भविष्य सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी है।
हम विनिर्माण क्षेत्र (मैन्युफ़ैक्चरिंग सेक्टर) को मज़बूत बनाने और पूँजीगत व्यय को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार की पहलों के आधार पर अहम प्रभावों का अनुमान लगाते हैं, जो भारत के आर्थिक विकास की वक्र रेखा को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा। उद्योग के दृष्टिकोण से, हमारी उम्मीदें यह होंगी कि एनबीएफ़सी के लिए तरलता-संवर्धन (लिक्विडिटी-एंहान्समेंट) के उपायों को बढ़ाने की दिशा में ज़रूरी और उपयुक्त कदम उठाने के लिए सरकार की ओर से सहायता मिलेगी।
हमें उम्मीद है कि यह बजट फ़ाइनैंशियल सेक्टर में हो रहे बदलावों को आगे बढ़ाने के लिए डिजिटल बुनियादी ढाँचे और अन्य रूप-रेखा उपायों को तेज़ करने के साथ-साथ कंज़्यूमर-फ़्रेंडली और आसान बनाई गईं नीतियाँ मुहैया करवाना जारी रखेगा। कुल मिलाकर, हम आशावादी हैं कि यह बजट एक मज़बूत, समावेशी और तकनीकी रूप से उन्नत अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देते हुए, विकास और फ़िस्कल ज़िम्मेदारी के बीच सही संतुलन बनाएगा।