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विकास योजनाओं के चलते बदल रहे मुंब्रा में राजनीतिक संघर्ष की तैयारी शुरू

ठाणे [ युनिस खान ] मुंब्रा की यातायात की समस्या सुलझाने के लिए रेलवे स्टेशन तक सामानांतर कंक्रीट की सड़क का कार्य पूरा होने से समस्या का हल होने की उम्मीद है।एक ही रोड के दोनों ओर बसे मुंब्रा में यातायात की सबे बड़ी समस्या है। मुंब्रा बायपास मार्ग बनने से भारी वाहन शहर के बाहर से निकल जाते है। अब रेलवे स्टेशन तक सामानांतर सड़क बनने शहर मुख्य सड़क से वाहनों का आवागमन दोनों मार्गों पर बंट जायेगा। जहाँ विकास योजनाओं के चलते मुंब्रा बदल रहा है वहीँ विधायक के अनेक समर्थक विरोधी खेमें में चले गए है जिससे राजनीतिक संघर्ष शुरू है। जनता किसके साथ आगामी महीनों में सब सामने आ जायेगा।

                पूर्व मंत्री व स्थानीय विधायक डा जितेन्द्र आव्हाड के आने से पहले नागरिकों को उनके क्षेत्र में विधायक से मिलने का अवसर नहीं मिलता था। अब लोग आधी रात को भी फोन करके विधायक से बात करते हैं। किसी की शिकायत मिली तो डा आव्हाड मुंब्रा पहुँच जाते है। विधायक डा आव्हाड के कार्यकाल में हुए विकास कार्यों का लेखाजोखा करें तो वर्ष 2009 के पहले और उसके बाद का मुंब्रा के लोगों के नजर के सामने है।

          विधायक डा आव्हाड के प्रयासों से मुंब्रा में निजी जमीन पर कब्रस्तान बनाया गया। जिसमें कोरोना काल में मुंब्रा और आसपास के शहरों के लोगों की मय्यत के दफ़न की सुविधा मिली।  मुंब्रा में लायब्रेरी का काम का काम हुआ है। सड़क का निर्माण शुरू है जिससे में रोड की यातायात दोनों सडकों पर बंटने से यातायात समस्या कम होगी। स्कूल , टीएमटी बस डिपो , उर्दू घर , स्लाटर हाउस ,उर्दू घर के ऊपरी मंजिल पर हाजियों के लिए सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी।  मुंब्रा कौसा के लोगों को शादी व अन्य कार्यक्रम के लिए सुविधाजनक और अच्छी जगह में सर्व सुविधा संपन्न हाल बनाने की योजना है। मुंब्रा में मनपा अस्पताल , स्टेडियम ,स्कूल आदि की सुविधा मिली है।  कोरोना काल में विधायक आव्हाड ने कोविड अस्पताल शुरू कराके उपचार की सुविधा के मुहिया कराया। लाकडाउन के दौरान लोगों भोजन और राशन का वितरण कराया। उनका प्रयास रहा कि कोई इलाज से वंचित और भूखा न रहे। विधायक डा आव्हाड और उनके कार्यकर्ता कोविड पोजिटिव हो गया। जान जोखिम में डालकर अपने क्षेत्र के लोगों की सेवा की यही कारण है कि आज वे लोगों के चहेते बने हुए हैं।
       कोरोना काले में कार्य की बात करें तो लोगों को खाना , दवा , इंजेक्शन की सुविधा उपलब्ध करायी गयी। आयसीयु व वेंटिलेटर की सुविधा के साथ 18 करोड़ रूपये की लागत से कोरोना अस्पताल की सुविधा उपलब्ध कराया। उनके कई कार्यकर्ता कोरोना पोजिटिव हुए लेकिन लोगों की मदद जारी रखा। उन्हीं के चलते आज मुंब्रा में विकास की गंगा बह रही है। पारसिक रेतीबंदर में बन रही चौपाटी आने वाले समय में लोगों के आकर्षण का केंद्र बनेगी और आसपास के शहर के लोग इसका आनंद लेने आयेंगे।

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