मुंबई [ युनिस खान ] रिपब्लिक भारत चैनल के संपादक अर्नब गोस्वामी को पुलिस ने आज गिरफ्तार कर लिया है। उसकी गिरफ़्तारी के बाद केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत अनेक केन्द्रीय मंत्रियों व भाजपा शासित राज्यों के मुख्य मंत्रियों ने बदले की भावना से की गयी कार्रवाई बताया है। वहीँ महाराष्ट्र के गृहनिर्माण मंत्री डा. जितेन्द्र आव्हाड ने कहा है की पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए कार्रवाई की गयी है। आज बुधवार की सुबह अलीबाग पुलिस अर्नब गोस्वामी के वर्ली स्थित घर पहुंची तो वहां काफी हंगामा हुआ। आलिबाग पुलिस ने मुंबई पुलिस की मदद मांगी उसे आशंका थी कि अर्नब हिराफ्तरी की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न कर सकता है। मुंबई पुलिस अपराध शाखा के दस्ते एसपी अशोक दुधे के नेतृत्व अलीबाग पुलिस सुबह छः बजे अर्नब के 17 वीं मंजिल स्थित घर पहुंची। अर्नब और उसकी पत्नी साम्यब्रत ने करीब एक घंटे तक घर का दरवाजा नहीं खोला पुलिस को बाहर ही इन्तजार करना पड़ा। पुलिस ने कहा कि हम अलीबाग केस न गिरफ्तार करने आये हैं। एक पुलिस को पुरे घटना क्रम की वीडियो ग्राफी करने की जिम्मेदारी दी गयी जिससे अर्नब उसके उपार कोई आरोप न लगा सके। जब अर्नब ने दरवाजा खोला तो उसकी पत्नी विडिओ ग्राफी करने लगी। काफी बहस के बाद सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे के दल ने अर्नब को इंटीरियर डिजानर अन्वय नाईक व उनकी माँ कुमुद नाईक की आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले भादवि की धारा 306 के मांमले में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने अर्नब के अलावा इस मामले फिरोज शेख व नितेश सारडा को भी गिरफ्तार किया है। नाईक ने सुसाईट नोट लिखाकर 5 मई 2018 को अपनी माँ के साथ आत्महत्या किया था। नाईक बेटी आज्ञा नाईक कहना है कि सुशांत सिंह राजपूत मामले में कोई सुसाईत नोट नहीं होने के बावजूद अर्नब गोस्वामी ने आवाज उठाया था जबकि मेरे पिता ने सुसाईट नोट में अर्नब गोस्वामी का नाम लिखा है। नाईक की पत्नी अक्षता नाईक का कहना है की अर्नब ने मेरे पति का बकाया पैसा दिए होते तो आज वह जिन्दा होते। 83 लाख रूपये बकाया नहीं दिए और दूसरी कंपनियों के बकाये देने के लिए पार्टियों को भड़काया। पैसे न मिलने से कामगार भी काम छोड़ दिए दूसरी कंपनियों का पैसा देना था। जिससे वह परेशान थे। गृहनिर्माण मंत्री डा. आव्हाड ने कहा है कि पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने कार्य शुरू है। इसे बदले की भावना व भेदभाव की संज्ञा देना अनुचित है। पुलिस और क़ानून को कम करने दिया जाय ।